माँ भोर में उठती है कि
माँ के उठने से भोर होती है
ये हम कभी नहीं जान पाये-
Gautam kumar Jha
(मैं कौन हूं)
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मैं कौन हूं कैसे ढूँढू मैं अपने आप को मैं क्या चाहता हु मुझे इस धरातल पे क्या करना है मेरा... read more
Joined 2 May 2021
5 MAY AT 12:05
8 MAR 2022 AT 9:24
स्त्री वह संज्ञा है, जिसे किसी विशेषण की जरूरत नही.
Happy women's day-
3 MAR 2022 AT 18:42
मुझे इसका कोई गम नहीं है , की सब ने मुझे गलत समझा, हां पर मलाल जिंदगी भर रहेगा उन लोगों को जो मुझे समझने का दिखावा करते थे.
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2 MAR 2022 AT 14:03
क्यू किसी के इंतजार में रुकते रहें हम,
जब सफर अकेले ही करना है
तो क्यों मंज़िल सिर्फ देखतें क्यों रहे हम.-
26 FEB 2022 AT 0:42
मन बड़ा चंचल है,
शांत है ये तन ,
मन को मारे जग मरे,
पर मारे कौन फ़कीर
जिसने देखा संसार को,
मार सका न मन
मार दिया संसार को ,
तन के खातिर मन..
आगे अब मन क्या लिखें,
मर चुका है मन.— % &-
24 JAN 2022 AT 17:09
क्यूँ मन एकग्र नहीं रहता,
हम क्यूँ इतनी जल्दी खो जाते है,
कहीं दूर वादियों में , या किसी की यादों में
ऐसा अक्सर क्यों होता है.-