किश्ती ये जो समंदर को जीत जाती है,
इतनी बेखौफ कैसे बन पाती हैँ?
Caption me padhe-
चुनिंदा से मिल हो सके तो अपने से उंदा से मिल...
सबसा होकर क्या मिलेगा तू कुछ अलग महक कुछ अलग सा खिल!
हर कोई शामिल हैँ किसी ना किसी जंग मे यहाँ,
जब भी मिल किसी से तो जख्म उसके मरहम सा सिल,
ये दुनिया इतनी तंग दिल ना थी जितनी हो चली हैँ,
ऐसा बन तुझे देख बोले ये ज़माना इस शख्स का हैँ रब सा दिल!
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ये शिकवे ये शिकायते बता किस लिए है,
खुश रहने वाले गुरबत मे भी खुश है
तेरे ज्यादातर दुख तेरी सोच के दिए है!-
जहाँ करनी हो ठीक वहा.... कहा होती हैँ,
हर बात हर किसी से कहाँ होती है!
कुछ हिस्से ऐसे भी बटते हैँ घरों मे के सकून दे जाए,
पर एक रोटी से भूख सबकी शांत कहाँ होती हैँ!
चलो अकेले के रास्ते मे बहुत तुमसे जुड़ते चलेंगे,
हर सफर कि शुरूवात कारवे से कहाँ होती हैँ!
क्या जन्नत करेंगी उस घर के आगे,
बूढी माँ के चेहरे पर बरकरार हसीं जहां होती हैँ,-
हमारे मोहल्ले का चौकीदार बेहद मजबूर या ईमानदार?
जो अपना घर छोड़ बना हैँ किसी ओर के घर का पहरेदार,
छोड़ अपना सब रब के हवाले....
जाग रहा है सोये हुए महल मे पहरा डाले,
रब... अब... मै भी शंचय मे हूँ आदमी का गुलाम आदमी कैसे हो गया?
क्या ये पैसा तुझसे भी बड़ा हो गया?
मै उसे देखू ओर उसकी व्यथा ना समझू मै इतना भी भावहीन नहीं,
क्या रात स्वप्न उसके अब हमसे रंगीन होते होंगे?
क्या उसके बच्चे उससे कहानियाँ सुनकर सोते होंगे?
क्या ये जुर्म तेरी अदालत मे ज़रा भी संगीन नहीं,
पर रब अब तुझ पर मुझे भी पूरा यकीन नहीं!
पर रब अब तुझ पर मुझे भी पूरा यकीन नहीं!
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सब कुछ उधार हैँ यहां,
सब कुछ सिर्फ एक बार हैँ यहां,
बचपन - जवानी - जिंदगानी बीतकर ही याद आती हैँ,
कल से...तब जब होगा सब...ये करते - करते उम्र बीत जाती है,
जीने वाले चुनिंदा ना जीने वालो कि भरमार हैँ यहां,
यारो समझ जाओ जिंदगी उधार हैँ यहां!
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हर किसी ने पूछा क्या हाल हैँ ?
सिर्फ उसी ने पूछा के किस हाल मे हो ?
खुदकी हकीकत भी लिख लेते हो कभी? या अब भी मेरे ख्याल मे हो?
हकीकत को अपना... हकीकत मे समा... हकीकत सा बन पाए हो?
या अब भी उलझें काश? और क्यों? के सवाल मे हो?
खैर... खैर रखना...खैरियत पूछा करूँगी.. कभी - कभी!
मलाल दूर करने को...के मेरी खातिर तुम इतने मलाल मे हो?-
कैसी मोहब्बत... कैसी दिल्लगी...हमें तो हर बार बस बेरुखी मिली,
तू ने भी खुदा उन्हें ही बक्शा इश्क़... जिन्होंने ने इसकी कभी कदर नहीं कि!
यही मलाल है...के ये क्या कमाल है...के सिर्फ काबिल होना काफी नहीं,
सादगी भरे दिल और ईमानदार ज़मीर से ज्यादा जरुरी है झूठी शान और बनावटी रूप भी!-