वो किया कर जो जिंदगी जीने को अभी कर सकता है,
मुझे समझ नहीं आता तू लोगो कि परवाह क्यों करता हैँ,
-
यू ही ना मिला करो हर एक से... के हर एक.... हमारे सा नहीं,
ठीक जैसे जो नज़र आता है.. वो नजारा होता हर बार होता वैसा नहीं!-
लोग ठीक वैसे ही थे जैसे होते है पर मै उनसा ना था ,
बस यही वजह थी के मै उनमे ना रह सका !-
डर और रोचकता दोनों सिर्फ सोच मे उच्चत्म स्तर के होते है,
अनुभव कहता है के अनुभव ही इनको सही तोल सकता है!-
हज़ार दफा लफ्ज़ो मे तेरा मेरा होना!
ओर सिर्फ मेरा होना!
एक दफा कि हकीकत से हल्का रह गया!-
तुम बहुत सस्ते मे बेच रहे हो खुद को इस नौकरी के पेशे मे!
सौदा वक़्त का हो रहा है जो लोट कर ना आयगा,
दोस्त ओर दोस्ती के पल चले जायँगे,
आँगन मे खेलता बचपन कही उड़ जायगा,
ये जो नौकरी हैँ ना किसी कि नहीं होती फिर भी सब क्यों इसके हैँ ?
जगह बदलते है ठीक कैदी कि तरह ? कोई आजादी कि क्यों नहीं सोचता ओर सोचता हैँ तो हो क्यों नहीं पाता?
-
कितनी अजीब हैँ दुनिया या मै अजीब हूँ?
इस सवाल के जवाब के मै कितना करीब हूँ?
अकेला हूँ खुदसा!
बदनसीब हूँ या खुशनसीब हूँ?
इस सवाल के जवाब के मै कितना करीब हूँ?
ना मै घर हूँ ना हूँ आँगन...मै तो बस एक दहलीज हूँ!
आम सा भी नहीं शख्स मै या कोई लाजवाब चीज हूँ?
सबसे अकेला हूँ इस भीड मे या फिर खुदा का बेहद अज़ीज़ हूँ?
इस सवाल के जवाब के मै कितना करीब हूँ?
खुद ही खुद को ना समझ पाया या दुनिया मे खुदको फिरू उलझाया?
सबको सब दिया जो दे सका कभी किसी से कुछ ना पाया!
मै क्या कोई ताबीज हूँ?
ना खिला ना मुरझाया या ऐसा रुद्राक्ष सा बीज हूँ?
-