अर्ज किया है
रात की आखिरी सोच भी तुम,
सुबह की पहली सोच भी तुम।
मेरी दुआओं में भी तुम,
मेरे दर्द की दवा भी तुम।
गुजरते राहों में भी तुम,
जुबान की लफ्जों में भी तुम।
मेरे ख्वाबों में भी तुम,
मेरे बहती नसों में भी तुम।
मेरे हर सोच में बसती हो,
सिर्फ तुम और तुम।।-
बात तो हो जाती है उनसे कभी कभी
मगर अब बातें नहीं होती।
राह चलते दिख जाती है वह कभी कभी
मगर अब मुलाकातें नहीं होती।।-
अर्ज किया है
तकरीबन हर रात को वह
मेसेज करते करते ही
सो जाया करती है।
चलो ये भी सही है,
इसी बहाने मेरे अगले दिन की शुरुआत
उनकी गुड मॉर्निंग से हो जाती है।-
ये कैसी कशमकश हैं तेरी ए जिंदगी
ना दिल खोलकर तूं हसने दे रही हैं न रोने-
तू यूं रूठा न कर मेरी जान
दिल बेचैन हो जाता है मेरा!
एक दिन भी बात न करें तू मुझसे
तो दिन अधूरा रह जाता है मेरा!!-
कुछ अनकही ख्वाहिशें है
जो कभी बयां न कर पाए तुमसे
बस एक कविता बनकर रह गई
मेरे बंद डायरी के पन्नों में।-
यह हवा भी बदलेगी, समय भी बदलेगा
तू जरा सब्र तो रख मेरे दोस्त
जो आज तुझे ताने दे रहा है
कल वही तेरा हाथ भी चुमेगा ।-
बस एक ही दुआ है ऊपर वाले से
तेरी निकाह से पहले
मेरी मौत की अर्जी कुबूल करें-
इस शावन की बारिश में
कोई अनजान सी सड़क पे
तुम्हारी हाथ पकड़ कर
मन करता है चलते ही जाए,
चलते ही जाए,
बस चलते ही जाए।-
किसी के लिए बदतमीज हूं
तो किसी के लिए तमीजदार भी हूं।
किसी के लिए दुश्मन हूं
तो किसी के लिए दोस्त भी हूं।
किसी के लिए बेईमान हूं
तो किसी के लिए ईमानदार भी हूं।
किसी के लिए धोखेबाज हूं
तो किसी के लिए भरोसेमंद भी हूं।
किसी के लिए बेवफा हूं
तो किसी के लिए वफादार भी हूं।
अक्सर इसी सोच में डूबा रहता हूं
कि मैं कौन हूं? मैं कौन हूं??-