Gautam Chaudhary   (गौतम चौधरी (मैथिल))
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Joined 1 December 2019


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18 APR 2021 AT 22:17

चलिए तो फिर चलते हैं
इस हसीन वादियों को छोड़कर,
इन हरे-भरे जंगलों को छोड़कर,
लहलहाते खेत खलिहानों को छोड़कर,
सुन्दर सा मैदानों को छोड़कर
पगडंडिनुमा सड़को को छोड़कर,
24 फागुन जहाँ गुजारे उस आँगन को छोड़कर,
इन प्यारे से दोस्तों के हाथों को छोड़कर,
उनके साथ किये मस्ती को छोड़कर,
स्वतंत्रता से भरे विचारों को छोड़कर,
नटखट भरी इरादों को छोड़कर,
ममता से भरी आँचल को छोड़कर,
हाँ, हद से प्यारा अपने गाँव को छोड़कर।
चलिए तो फिर चलते हैं,
जो सबकुछ है मेरा, माँ से आशीर्वाद लेकर,
हिम्मत देने वाले, पिता के पैर छूकर
बरे बुजुर्गों से आज्ञा लेकर,
दोस्तों से किये कुछ वादे लेकर,
गाँव मे जो गुजरे दिन उसकी यादें लेकर,
पहाड़ सा लिए इरादों को लेकर,
चलिए तो फिर चलते हैं,
नयी जिंदगी की उम्मीदों को लेकर।

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18 FEB 2021 AT 10:14

और ज्यादा की चाह, मनुष्य को बहुत कुछ खोने को मजबूर कर देता है।

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16 FEB 2021 AT 21:55

आज फिर तुम याद आयी,
यादों के साथ एक जख्म लायी!
सोचा कैसे मिटाऊँ ये जख्म,
मरहम-ऐ-जख्म में एक नज्म लायी।

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26 DEC 2020 AT 19:48

ठंड भरी मौसम में बे-पर्दा जो निकली हो,
जून की गर्मी जनवरी में लाओगी क्या!

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8 DEC 2020 AT 11:47

उसे मंजूर था मेरी बर्बादी का शबब,
नजरें चुरा कर मुश्कुरा जो रही थी!!

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5 NOV 2020 AT 22:10

उसकी होंठों की नज़ाकत तो देखो।
पंखुरी एक गुलाब की, माँत खाये सी बैठी है।
हजारों आशिकों को कत्ल कर,
मुश्कुराहट-ए-लव लिए आराम से बैठी है।।

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4 NOV 2020 AT 22:03

दूध लेने के बहाने मिलती थी उनसे नजरें,
मुहब्बत के दुश्मनों ने एक दिन 'भैंस' ही बेच दिया।।

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3 NOV 2020 AT 19:51

सितारों के बीच खूब चर्चे हैं,
चाँद, दीवाने जो हो गए तुम्हारे!!

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21 SEP 2020 AT 21:53

एक शाम हो कुछ काम की,
बना लूँ चाँद तुम्हें उस शाम की!!
कहीं नजर ना लग जाए गैरों से,
एक ताबीज बना लूँ तेरे नाम की!!

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13 SEP 2020 AT 22:56

किस मौसम को तेरे नाम करूँ,
हर मौसम यहाँ बईमान बैठे हैं।।

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