Gautam ❣️❣️❣️❣️   (Gautam Singh)
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Joined 16 February 2020


Joined 16 February 2020

सफर ✍️......
ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के दिलों से गुजरने वाली ये ट्रेनें समझती तो होंगी पराए दिलों का दर्द? इन ट्रेनों ने भी तो सहा है साथ छूटते स्टेशनों की तकलीफ़, रंग बदलते सिग्नलों का गम, विमुख होते पटरियों का दर्द। चुपचाप समेट लेते है ये बदहवास यात्रियों को अपने अंदर और सुनते है पूरे सफर सहनशीलता के साथ उन यात्रियों की संघर्षों की कहानियां। इन सब के बाबजूद कौन रखता है इनको गतिमान? शायद कही पहुंच जाने की उमंग, किसी को मंजिल तक पहुंचाने का वादा या शायद ये उम्मीद कि एक बार फिर नही छूटेगी किसी 'सिमरन' की ट्रेन, कोई 'राज' फिर से थाम लेगा उसका हाथ और ट्रेन के तपती इंजन पर पड़ जायेंगे सुकून के कुछ छींटे।

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14 SEP 2023 AT 16:03

हिंदी, तुम बिल्कुल मां जैसी हो। परिस्थियां चाहे जैसी रही हो, कभी ये डर नहीं लगा कि तुम्हारा साथ छूटेगा। नए प्रदेशों में नए नए भाषाओं के आवरण के बीच भी सदैव तुम्हारे स्थायित्व का आभास रहा। उन भाषाओं में स्वच्छंद अटखलियों के बीच ये विश्वास था कि उलझे तो संभाल लोगी तुम जैसे संभाल लेती थी मां हमें हमारे शुरुआती कदमों पर। वैसे तो तुम्हारी आंखों के सहारे प्रेम के अनेकों रूप से रुबरु हुए पर कभी प्रेम जाहिर करना ना सीख सके। इसलिए बस इतना कहेंगे कि तुम्हारी आंचल के छांव में बहुत अच्छी नींद आती है।

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28 AUG 2023 AT 21:32

खुद ही चकित है वो
अपनी शख़्सियत के सब्र पे,
वो कलाकार मिट्टी डालता है
अब रोज अपनी कब्र पे।

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13 AUG 2023 AT 10:10

शनिवार की रात थी
हमें भी फुर्सत मिल गई
फिर जा बैठे छत पर हम
अकेले ही महफ़िल सज गई
सितारों से कुछ गुफ्तगू हुई
इधर उधर की बात चली
फिर एक ऐसी बात हुई
कि सितारों से सीधे ठन गई
सब एक स्वर में लगे बोलने
चांद है सबसे सुंदर प्यारे
हम नरमी से बोल गए बस
देखे नही तुमने मेहबूब हमारे।

सब तारे तब भड़क गए थे
कहने लगे निदान करा लो
जो भी हो सबूत दिखा दो।

तुमसे यही निवेदन प्रियसी
अब तुम ही मेरी लाज बचा लो
खुली जुल्फें और सूट था पहना
वो वाली तस्वीर भिजा दो।

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हां ये लड़का बिगड़ रहा है।
उस लड़की के प्यार में देखो
धीरे धीरे निखर रहा है।
हां ये लड़का बिगड़ रहा है।

देर रात तक जाग जाग कर
स्वप्न स्नेहिल गूंद रहा है।
कह देगा सब हाल प्रिय से,
बस एक अवसर ढूंढ रहा है।
नफा-मुनाफा से क्या इसको,
ये हौले हौले पिघल रहा है।
अफसर बनने का भी सपना
तिनका तिनका बिखर रहा है।
हां ये लड़का बिगड़ रहा है।

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यार नटवंश, तेरी छांव में बैठकर मैने बहुत कुछ लिखा है पर तुम्हारे लिए कभी नहीं लिखा। वास्तव में तुम मेरे कॉलेज लाइफ के वो सितारे थे जो इस संकुचित और कुंठित लड़के के सुकून को आयाम देते रहे। तुम फूल थे, तुम खुशबू थे, गंगा थे, बृंदावन थे, कॉलेज का मेरा एकमात्र प्यार थे तुम। वैसे हम तुम्हारे लिए बुरे कहलाए, बदनाम हुए और आखिर में तो दुखी भी । पर तुम से क्या शिकायत तुम तो अपने हो यार। इसलिए ताउम्र मेरे कॉलेज की यादों में तुम्हारी सबसे बड़ी हिस्सेदारी होगी जिसे मैं सहेज कर रखूंगा।

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19 APR 2023 AT 20:19

मासूम खिलौना था बाजार में
खेल कर उसने तोड़ दिया।
कोरा कागज दिल था मेरा,
उसने लिखा और छोड़ दिया।

शहर के बाकी किस्सों जैसा
यह किस्सा भी बीत गया।
मेरे बेरोजगार मोहब्बत से
सरकारी नौकरी जीत गया।

जिस रास्ते में घर था उसका,
अब वो रास्ता लेना छोड़ दिया।
हरिवंश जी ने कहा था यारो,
जो बीत गया सो बीत गया।

खुद को जिंदा रखा है मैंने,
भला क्यों मैं शोक मनाऊंगा।
बंद कमरे में रोते रोते
क्यों खूबसूरत शाम बिताऊंगा।

जितने टुकड़े हुए हैं दिल के,
हर टुकड़े में महबूब बिठाऊंगा।
आखिर में, "अब्बा नही मानेंगे मेरे"
कहकर सबसे दामन छुड़वा लूंगा।

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हमें नसीब न थी मोहब्बत की निशानी तुम्हारी।
बस गुनाहगार आंखो से की निगरानी तुम्हारी।

मेरे परदेश से लौटने तक खुदा ख़ैर करे,
गैर-इश्क में कहीं ढल न जाए जवानी तुम्हारी।

इक़बाल-ए-जुर्म है कि तुम्हे छुप के देखता हूं
सोचता हूं कहीं हो न जाए बदनामी तुम्हारी।

स्टोरियों पर लगाने वाले यारों देखना जरा,
नज़्म पढ़ के कहीं रो न दे भाभी तुम्हारी।

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क्या बताऊं किसकी यादों में
मेरी रातें मचला करती है?
एक मासूम जो लड़की है
वो छुप छुप देखा करती है।
मन भड़ जाए फूलों से तो
तितली उसको छुआ करती है
और बदजात हवाएं है जो
उसको छेड़ा करती है।
वो पगली अपनी आंखों में
नौ रस साधे रहती है।
प्रेमालाप करे अगर वो
कोयल पिघला करती है।
चांद देखकर जलता उसको
जलकर सूरज हो जाता है।
पाकर गरल उसके छुअन को
सोमरस हो जाता है।

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12 FEB 2023 AT 15:28

कमवक्त इश्क ने दिए है नाम कैसे कैसे।
देखो बदलता है रंग आसमान कैसे कैसे ।

सर्द रात में तेरे सुर्ख दुप्पटे की चादर,
हाय...देखो तो मेरे अरमान कैसे कैसे।

तेरी गर्दन देखकर तेरी सहेलियां कहे,
देखो तो मोहब्बत के निशान कैसे कैसे।

हर वक्त तुम्हें अदब से भाभी बुलाते है,
देखो मेरे दोस्तों के अहसान कैसे कैसे।

तुम्हीं को दे दी सारी कायनात की नूर,
देखो तो खुदा के फरमान कैसे कैसे।

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