गौरव राज तेजस्वी  
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Joined 6 April 2018


Joined 6 April 2018

कार्यकर्ता का कोई विकल्प नहीं होता , कार्यकर्ता तो संगठन के नींव के पत्थर होते है और जब जब नींव के पत्थर बदलने का प्रयास किया जाता है तो पूरे इमारत का आस्तित्व खतरे में आ जाता है



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नहीं हममें कोई अनबन नहीं है , बस इतना है कि अब वो मन नहीं है
मैं अपने आप को सुलझा रहा हूं ,तुम्हे लेकर कोई उलझन नहीं है

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धधक उठी है अग्नि फिर से, घाव पुराने भरे नहीं,
राणा की तलवारें बोले — रक्त बहुत दिन बहा नहीं।

जहाँ सिंह बन गए खिलौने, शौर्य दूध में पिलाया है,
उस भारत की संतानों को, फिर गद्दारों ने ललकारा है।

किसी ने धर्म को बेच दिया, किसी ने पंथ उजाड़ दिया,
किसी ने सत्ता के लालच में, मातृभूमि को बाँट दिया।

मूक खड़ा है न्याय यहाँ पर, सत्य पराजित रोता है,
पर अब भी हर राजपूत की रग-रग में रण सोता है।

हम चूमेंगे मौत अगर वो, धर्म युद्ध से आता है,
राणा की संतति भूली क्या? — बलिदानों की गाथा है!

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धधक उठी है अग्नि फिर से, घाव पुराने भरे नहीं
राणा की तलवारें बोले ,रक्त बहुत दिन बहा नहीं।

किसी ने धर्म को बेच दिया, किसी ने पंथ उजाड़ दिया
किसी ने सत्ता के लालच में, मातृभूमि को बाँट दिया।

मूक खड़ा है न्याय यहाँ पर, सत्य पराजित रोता है
पर अब भी हर राजपूत की, रग-रग में रण सोता है।

हम चूमेंगे मौत अगर वो, धर्म युद्ध में आती है
राणा की संतति भूली क्या? — बलिदानों की गाथा है!

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नदी जब किनारा छोड़ देती है
राह की हर चट्टान को तोड़ देती है...


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युद्ध नहीं जिनके जीवन में, वे भी बड़े अभागी होंगे,
या तो प्रण को तोड़ा होगा, या तो रण से भागे होंगे।

धनुहिन अर्जुन व्यर्थ रहा, जो रण में तीर चलाए ना,
असली वीर वही, जो संकट देख घबराए ना।

तूफानों से जिसने सीखा, वो ही कस्ती पार लगाएगा,
जो अंधकार से लड़ ना पाया, सूरज का मोल ना पाएगा।

त्याग नहीं, तप नहीं, जिसमें संघर्ष की ज्वाला ना हो,
उस लहू का अर्थ नहीं, जिसमें कोई उबाला ना हो।

राघव ने वनवास सहा, पर वचन व्यर्थ न बहाए थे,
पांडव वन-वन घूमे मगर, धर्म-पथ अपनाए थे।

सिंह वही जो जूझ सके, बाधाओं से लड़ सकता,
जो रण में पीछे मुड़ जाए, इतिहास नहीं गढ़ सकता।

युद्ध नहीं जिनके जीवन में, वे भी बड़े अभागी होगे
या तो प्रण को तोड़ा होगा, या तो रण से भागे होंगे।...


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मृत्यु अंत नहीं तेजस्वी ,अंतहीन शुरुआत है
आलिंगन हंसके करना तुम,डरने की क्या बात है



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मैं युद्ध का शौक रखता हूं
समझौते मुझे ताने मारते है ...

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हुनर शख्सियत में हो, तो दुनिया सर झुकाती है,
यूं एड़ियां उठाने से किरदार ऊंचे नहीं होते।"

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"मैं बागी रहूँगा सदा
उन महफिलों से, जहाँ योग्यता की कीमत
चाटुकारिता से चुकाई जाती हो..."

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