गौरीश 🕉   (UC "काफ़िर")
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Joined 22 August 2018


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Joined 22 August 2018
30 SEP 2023 AT 15:28

पाक इश्क़ के भ्रम से खुद को बचाने लगे हैं
इसलिए हम नज़र झुकाए भीड़ से निकलने लगे हैं।
वो जो कहते थे हम न बदलेंगे, बदल गए मौसम की तरह
धीरे धीरे हम भी मोम से पत्थर बनने लगे हैं।।

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29 SEP 2023 AT 8:07

दौर-ए-उल्फत में जुदाइयां बहुत देखीं हैं
सरे-राह इश्क़ में रुसवाईयां बहुत देखीं हैं
वो जो खुद को कहते थे हम-नफ़स हमराह मेरा
आज उनकी जानिब से बेफवाईयां बहुत देखीं हैं।
मसला ये है उन्होंने जाने का मन बना लिया था...
मसला ये है कि मेरा रोना भी उन्हें रोक न पाया।।

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18 SEP 2023 AT 11:40

. . ।

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11 NOV 2022 AT 2:55

मुहब्बत की फांस से तन्हाई का फलसफा अच्छा है "काफ़िर"
लोग हर किसी के होकर भी किसी के नहीं होते!!

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13 FEB 2022 AT 1:04

लगा कर गले तुझे हमने,
भुला दी तमाम दुनिया दारी
तुमसे हज़ार शिकवे थे हमें
मिटा दी अपनी शिकायतें सारी
यूं तो मेरे सबसे करीब तुम हो
चैन-ओ-सुकून के सबब तुम्हीं हो
तुम्हें सीने से लगा कर ये जाना हमने
मेरी वफाओं का शबाब तुम्हीं हो।
#Hug_day

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9 FEB 2022 AT 22:01

वो लड़की ज़रा दीवानी लगती है,
कहानी थोड़ी पुरानी लगती है।
बुढ़ापे में पेंशन यूं ही नहीं मिलती,
कमाने में सारी जवानी लगती है।
#voteforOPS

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7 FEB 2022 AT 19:15

गुलाब की पंखुड़ियों से होंठ तेरे नाज़ुक
गालों पर लालिमा गुलाब सी गुलाबी है
फकत आज का दिन गुलाब का है बेशक
तेरे साथ होने से मेरी हर शाम गुलाबी है।
Happy 🌹 day💖

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2 FEB 2022 AT 22:27

तुम अब उन रस्तों पर हो तहज़ीब जहां,
मुड़कर तकने पर जुर्माना होता है।
हमने कितनी दूर से आना होता है,
तुमने तो बस दिया जलाना होता है।।

(तहज़ीब हाफी)

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25 JAN 2022 AT 0:14

दिन की चकाचौंध आंखों में चुभती बहुत है,
रूह को सुकूं देने वाले अंधेरे तेरा शुक्रिया है।।

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24 JAN 2022 AT 0:23

वक़्त के थपेड़ों से जो बल पड़ा है पेशानी पर,
मयस्सर हो इश्क़ तेरा, तभी दर्द- ए- सर जाएगा।
तेरी मोहब्बत में ये 'काफ़िर' किधर जाएगा,
आगोश में तेरे संवर जाएगा, या 'फ़िराक़' में मर जाएगा।।

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