Gauri Thakare  
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Joined 6 March 2019


Joined 6 March 2019
18 DEC 2019 AT 21:45

सिसकियां स्याही में डूब गई।
दिल ने फिर एक ललकार स्वीकार की।
बवंडर से लड़ कर दिल से उदासी की मेहंदी उतरी।
हौंसले चल पड़े आसमान छूने, और...
गमों की सर्दियां, परीश्रम की गर्मी बन गई।

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18 DEC 2019 AT 20:56

ये कलम जब शब्दों को,
माला में पिरोकर ,
कागज़ पर उतरने लगी ,
और, तन्हाई की राहे,
आसान होने लगीं।

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18 DEC 2019 AT 20:44

जिंदगी चलना चाहे हाथ कलम का थामे,
तो न हैं जरूरत किसी हमसफ़र की,
जब कलम करे हर सफ़र को सुहाना।
दर्द बाटने की न हो ज़रूरत कभी,
जब जिंदगी चलना चाहे हाथ क़लम का थामे, तब जिंदगी की गुलज़ार गुंजन करती रहें।

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18 DEC 2019 AT 20:33

एक समुंदर अंदर भी हैं।
एक शोर सन्नाटे में भी हैं।
दिल की तपिश में सुलगती,
एक गज़ल नासूर ज़ख्म बया कर मुस्कुराती,
इन आंखों से एक कहानी छुपाती भी हैं।

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4 NOV 2019 AT 10:58

मैं वों सिक्का नहीं हूं
जो खनक कर अपनी परीक्षा दे।
मैं तो वो दिया हूं
जो खुद जलकर रोषण तुम्हें कर दे।

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4 NOV 2019 AT 10:42

चंद लम्हों के लिऐ ही सही
पर थे तो तुम हमारे।
तुम हमारे रहो या न रहो
पर हम हैं तो सिर्फ़ तुम्हारे।

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4 NOV 2019 AT 10:18

वक़्त के मिज़ाज पर,
जरूरतें बदल जाती हैं।

जरूरतें पूरी करते करते,
ख्वाहिशें मर जाती हैं।

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2 JUN 2019 AT 10:33

न जीने का शाहूर है जिंदगी में
न टुटके बिखरने की हालत
पर ज़ुर्रत इतनी ज्यादा हैं
की जिन्दा हु मैं हार कर भी

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2 JUN 2019 AT 10:27

न जाने आज एसा क्यों लगने लगा
के जिंदा हु मई मैं हार कर भी
खड़ी हु मैं तूट कर भी
सिमटी हु मैं बिखर कर भी
जो अंजान था हकीकत से
न जाने वो क्या था
की जिन्दा हु मई हार कर भी


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31 MAY 2019 AT 4:39

वक़्त ने बनाया हालात को गुलाम
हालात ने बनाया रिश्तो को गुलाम
रिश्तो ने बनाया जज्बातों को गुलाम
जज्बातों ने बनाया रहो को गुलाम
राहो ने बनाया मंजिलो को गुलाम
और मंजिलो ने बनाया मुझे गुलाम
पर मैं गुलाम बन गई इक्तिजा की गुलाम

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