GAURI Rai   (Gauri)
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Joined 9 October 2018


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Joined 9 October 2018
3 MAR 2023 AT 2:53

कैसे कहे...
कुछ नही रहा

प्रतीक्षा है विरह है
वो मोगरे के फूल है

हां ये सब
तेरे प्रेम के समानर्थी ही तो है

जो आज भी इठलाती जुल्फो को
संजो कर पिरो देती है.

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7 FEB 2023 AT 7:10

प्रेम का अवशेष अगर अस्थियों तक रहे !
तो मूलत:
उस प्रेम के सामर्थ से शानदार जीवन जीया गया!!

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1 FEB 2023 AT 8:34

ना सादगी मे उलझना
ना खुबसुरती की उपमाऐ पिरोन...
............बस..........
तुम सागर बनकर आना.....
और समाहित कर लेना मेरे अंत: मन को.....

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10 DEC 2022 AT 7:36

साहित्य वाले
प्रेम को जीते है...

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6 DEC 2022 AT 9:07

तुम व्यांजना हो...
मेरी कही अभिधा वाक्य का...

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29 NOV 2022 AT 22:10

देखो ना
इन आंखो मे...
मर्मता शून्यपरत
अहलाद करूणाबद्ध
बिन्दू प्रलब्ध....
दिप्तमान दृष्टि
एकांकी भावना
निमेषरहित
अथाह रतियुक्त
मात्र प्रेम......

गौरी‌!

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21 NOV 2022 AT 16:06

बेखबर चलते है....
बेखबर पथो पर....
बेखबर रति लिए...
‌ बेखबर आमोद लिए...
बेखबर रैना मे....
खबर तो हो उस,
बेखबर प्रेमी का जिसके,
प्रमोदो मे होकर ओत-प्रोत,
चलते जा रहे बस चलते जा रहे,
बेखबर सा बस बेखबर सा....!!!!

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21 NOV 2022 AT 15:23

थम जाते सारे अल्फाज ....
नि: शब्द रह जाती रूह....
बस रह जाती मुझमे,
छायान्कित बेखबर रूहानी यादे....

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7 NOV 2022 AT 10:17

ठहरना तो महज इतफाक था....
ठहराव इश्क बया कर गया.....

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1 APR 2020 AT 18:14

आज-कल कि परंपरा हो गई है
कपड़े उतारने की...
पर इस परंपरा में भी ‌तू मुझे
दुपट्टे तौफे में देना...

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