Gaurav Tripathi   (Gaurav Tripathi ✍️)
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Joined 17 November 2019


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Joined 17 November 2019
26 JUL 2024 AT 22:10

सबके हिस्से में
नहीं आये वो कंधे
जिन पर सिर रखकर
निश्चिंत हो कर असु बहाये जा सके

कुछ लोगों के असु
गोपनीय बहे और
लुप्त हो गए एकाकीपन के पाताल में
बिल्कुल सरस्वती नदी की तरह !

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5 JAN 2024 AT 17:55

काश वो रात लौट आए
उनसे हमारी पहली जैसी मुलाकात लौट आए
फिर से वो पहले वाले एहसास लौट आए
कि फिर से हम बैठे हैं पहले जैसे
तुम कुछ बोलती और मैं कुछ बोलता
फिर वैसे ही तुम मुझको पकाती मैं तुमको पकाता
कि तुम फिर गुस्सा होती और मैं फिर से तुम्हे मनाता चल फिर से दोनो साथ लौट आए ।
काश वो रात लौट आए।।

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1 DEC 2023 AT 15:13

I won't be able to unite every scattered person,
I won't be able to convince every angry person,
I won't be able to fix every broken thing,
but I am sure that for everyone there will be a way,
a person, a reason,
a coincidence that will reduce the pain or help in enduring it.
Will increase strength I can stand together with many people till something like this happens,
we all can live... being each other's hope

Forever Hopefull

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22 OCT 2023 AT 23:43

चेहरे की हंसी दिखावट सी हो रही है
असल जिंदगी भी बनावट सी हो रही है।

अनबन बढ़ती जा रही है रिश्तों में भी
अब अपनों से भी बगावत सी हो रही है।

पहले ऐसा था नहीं ऐसा हुआजकल
मेरी कहानी कोई कहावत सी हो रही है।

दूरी बढ़ती जा रही है मजिल से मेरी
चलते-चलते भी थकावट सी मेहसूस हो रही है।

शब्द कम पड़ रहे है मेरी बातों में भी
खामोशी की जैसे मिलावट सी हो रही है।

और मशवरे की आदत ना रही लोगो को
अब गुजारिश भी शिकायत सी हो रही है।

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30 SEP 2023 AT 19:21

अकेला होकर भी
रौशनी में
बिलकुल अकेला
कभी नहीं था मैं
हमेशा पीछा करती रही मेरा
मेरी ही परछाई

और अंधेरों में
बस मैं होता था
अकेला !!

अंधेरे में हमेशा एक सुकून था
सुकून ये
कि यहां मेरे साथ सिर्फ़
वही रहा
जो था सच में
मेरा ।।

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25 SEP 2023 AT 0:34

"नादानी थी, बचपना था ll
बड़े बनने का सपना था ll

जल्दबाजी में खो गया बचपन,
हमें जिसे संभालकर रखना था ll

इस शहर में हमारा कोई नहीं है
बचपन में सारा गाँव अपना था ll

चंद खिलोनों से खेले अनगिनत खेल,
हमें जीवन का खेल भी समझना था ll

दिल बेचारा दिमाग की बातों में आ गया,
दिल को दिमाग की बातों से बचना था ll"

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19 SEP 2023 AT 23:35

कि हम इस कदर आप में खोए,
कि अब सब कुछ धुंधला धुंधला सा नजर आने लगा है..
बात यह नहीं की आप खूबसूरत है या हम बहुत खूबसूरत हैं...
बस आपके साथ रहना अच्छा लगता है
अब यह मर्जी आपकी है कि ठुकरायें या अपनाएं हमें, हमें तो आपका दीदार अच्छा लगने लगा है

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18 JUL 2023 AT 22:01

लोग गलतफहमी में हैं कि
शायद कहीं मरहम बिकता है,

इंसान ख्वाइशों से बंधा हुआ
एक जिद्दी परिंदा है,

उम्मीदों से ही घायल है और
उम्मीदों पर ही जिंदा है ... !

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5 JUL 2023 AT 18:23

हज़ारों ठोकरें खाकर भी, नाबाद बैठा हूँ
मैं जहाँ पर कल को बैठा था, वही पर आज बैठा हूँ

फिसलता है वैसे तो अक्सर, आँखों से हौंसला मेरा
मगर मैं कस के ख़्वाबों को, बांध बैठा हूँ

अँधेरों से नहीं शिकवा, नहीं अब क़िस्मत से नाराज़गी कोई
क़िस्मत को भी सम्हाल लूँगा मैं, अब ये ठान बैठा हूँ

छोड़ा है कई ग़ैरों ने, कई अपनों ने भी रवाना किया
मैं ख़ुद को ही अपना मगर, अब मान बैठा हूँ

मैं अब छोड़ बैठा हूँ भरोसे की वो गाड़ी को
सड़क पर हूँ अकेला पर, मैं खुदके साथ बैठा हूँ..!

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30 MAY 2023 AT 0:10

ना जाने किस दौर से गुजर रहा हूं मै,
हर पल बदल रहा हूं मै ।
ना जाने किसकी नजर लगी है मुझे,
कि सब कुछ पास हो के भी कुछ खो रहा हूं मै ।
पता नही कौन है वो जिसके लिए रो रहा हूं मै ।

Aryan agrahari✍️

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