मैंने हत्या की
उस इंसान की जो जीना चाहता था
जो मुझे बचपन में मिला करता था
जो सपने देखता था
जो सारी तमाम बाते मुझसे किया करता था
जो सबको अच्छा समझता था
जो सामने देखता उसी हक़ीक़त को जानता था
जो किसी से भी आसानी से प्यार किया करता था
मैंने उसको मारा है
हाँ मैंने ख़ुद को मारा है
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उदास रहु तो किसी को कोई परवाह ही नहीं….
मुस्कुराता हूँ तो लोग वजहे पूछ लेते है…..-
हा अगर हम तेरी तस्वीर बनाने लग जायें ,
सिर्फ़ तेरी ज़ुल्फ़ों पर ही कई साल लग जायें,
और तेरी होंठ पर हम रुक जायें ,
आख़िर तेरी तस्वीर देख हम भी दीवाने हो जायें……….
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मुश्किले है, मुझको मिटाने पे तुली है,
और दुआयें है की मुझको बचाने में तुली है…
और ये दिल लगा है ग़म छुपाने में सारे,
एक ये आँखे है कि, सब बताने में तुली है……-
और फिर तुम समुंदर किनारे अपने हाथ में पानी उठा लेना,
जितना तुम उठा लो, वो तुम्हारी चाहत ……..
और जो ना उठा सको वो मेरी मोहब्बत……..
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अगर मैं शुरू से शुरू करूँ,
तो इस बार मोहब्बत कर पाओगे क्या?
अपनी आदतें बना पाओगे क्या?
आवाज़ पसंद है तुम्हारी,
अपना पसंदीदा गाना सुना पाओगी क्या?
कुछ बात कहनी है तुमसे,
तो थोड़ी देर रुक पाओगी क्या?
एक रोज़ ढलता हुआ सूरज देखना है,
चार कदम मेरे साथ चल पाओगे क्या?
अगर मैं शुरू से शुरू करूँ,
तो इस बार मोहब्बत कर पापगी क्या?
अपनी आदत बना पाओगी क्या?-
ख़ुद नहीं जानता क्या कि क्या हूँ मैं ,
कितने ही रंगो में ढालने के लिए, ख़ुद को बदला हूँ मैं।
कौन सा दर्द है जो दिल दुखा रहा इस वक़्त,
नहीं याद किन किन तनहा गलियों से गुज़रा हुआ हूँ मैं।
गिला करूँ भी तो अब किससे करूँ,
ख़ुद के ही ज़ख्मों को झूठा समझने लगा हूँ मैं।
कैसे समझ पाओगे मेरी यह ख़ामोशी ,
इतने बरसों से चीखता रहा हूँ मैं।
फिर कैसे करदू वही वादे,
जब ख़ुद नहीं समझता कि क्या हूँ मैं।
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मुश्किल तो बहुत है जनाब ज़िंदगी का सफ़र…..
ऊपर वाले ने मरना हराम किया,
और लोगो ने जीना……-
चर्चे नशे के चल रहे थे,मैं ज़िक्र तेरी निगाहों का कर आया….
जब बात सुकून की छिड़ी, मैं बात तेरी बाहों का कर आया ….-