कलाकार
वो खड़ा लोगों के बीच,
कोई कविता सुना रहा।
लोग सुन रहे,
सुन कर ताली बजा रहे।— % &मैं खड़ा एक किनारे,
उसे देख रहा, सुन रहा।
कविता वो सुना रहा,
सोच में मैं डूबा जा रहा।
कलाकार है वो,
कलाकारी दिखा रहा।
सुनने वाले समझ रहे,
तभी शायद ताली बजा रहे।— % &मैं शांत खड़ा देख रहा,
उसे, उसे सुनने वालों को।
कोशिश कर रहा समझने की,
उसके शब्दों, शब्द-जालों को।
थोड़ा समझ आया,
तो मन एक विचार आया।
जो वो कर सकता,
तो मैं भी कर सकता।— % &कहानी है उसके पास, दिल छूने वाली,
मैं भी बना सकता।
शब्द हैं उसके पास, गहरे अर्थ वाले,
मैं भी सुना सकता।
फिर क्या पता एक दिन,
उसकी जगह खड़ा हो,
मैं कविता सुना रहा,
सुनने वाले ताली बजा रहे।— % &और मेरी जगह खड़ा कोई और,
सोच में डूबा जा रहा।
जो वो कर सकता,
तो मैं भी कर सकता।
जो वो कर सकता,
तो मैं भी कर सकता।— % &
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