Gaurav Singh   (Gaurav Singh 'परिदर्शक')
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Keen observer at heart ;)
Joined 25 August 2019


Keen observer at heart ;)
Joined 25 August 2019
7 MAY AT 7:02

एक तो उसके घर का रास्ता बहुत दूर था,
दूजा, बीच रास्ते में एक ठेका भी मौज़ूद था,
कश्मकश ये थी की पहले दिल देखूं या रास्ता अपना?
फ़िर नज़र आया की 'वो' भी 'वहीं' मौज़ूद था!

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4 MAY AT 23:46

एक उमर हो गई, बाज़ार में बिकता ही नहीं हूं,
टूटा हूं, कि महंगा हूं, को सस्ता हूं, कि क्या हूं?

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4 MAY AT 0:26

आजकल बहुत ख़ुश-मिज़ाज रहता हूँ,
एक बड़े से पिंजड़े में आज़ाद रहता हूँ।

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2 MAY AT 19:14

आज मिला वो दोस्त पुराना,
..यादें फिर से नई कर गया !

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1 MAY AT 22:41

जिंदगी हम तेरे मजदूर हैं,
.फिर क्यों इतना गुरुर है?

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25 APR AT 22:30

बस दरख्त बचा रहा तो इसपे फल भी आ जायेगा,
यारा! हौसला रख, वक्त अच्छा भी आ जाएगा!

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5 APR AT 1:25

मैं बस मुस्कुराता हूँ, और लोग निकल जाते हैं,
अब किससे पूछूं कि ये रास्ते किधर जाते हैं |

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4 APR AT 0:14

बिना नशे के भी रास्ते में झूम लेता हूं कभी-कभी,
कुछ इस तरह से मैं शराब की इज्जत बचा लेता हूं!

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29 MAR AT 6:09

रात भर मुझे लिपटने की कोशिश में,
तन्हाई खड़ी रहती है मेरे दिल-ए-दरवाज़े पे,
बहुत डर लगता है आजकल आईना देखने में,
कहीं वो पूछ ना ले मुझसे मेरे बारे में।

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28 MAR AT 1:30

अपनी तकलीफ़ों को इस तरह छुपाना है मुझे,
कोई जब हाल पूछे तो बस मुस्कुराना है मुझे,
इस अजनबी शहर में कोई तो ये कहदे मुझसे,
कल रात का खाना उसके साथ खाना है मुझे!

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