गुल्लक में हर रोज,
एक नयें सपने इकठ्ठा करता हूँ, मैं ।
जो मिल जाता है, उसे पास मे रखता हूँ मैं ।
जो नहीं मिलता, उसे गुल्लक मे हर रोज इकठ्ठा करता हूँ मैं ।।
पा केभी जो खो देता हूँ मैं
निराशा नहीं होता हूँ, मैं ।
उसे भी गुल्लक में सँजो कर रखता हूँ मैं ।।
गुल्लक में हर रोज
एक नयें सपने इकठ्ठा करता हूँ मैं ।।
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