Gaurav Sharma   (Lams)
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मैं और मुझमें मेरा दिल,
सोना मैं और पारा दिल।
Joined 24 July 2018


मैं और मुझमें मेरा दिल,
सोना मैं और पारा दिल।
Joined 24 July 2018
17 AUG 2022 AT 16:50

Missed Call
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उसके एक मिस्ड कॉल का मतलब होता था, जल्दी कॉल करो,
मेरे दो मिस्ड कॉल का मतलब...
अभी नहीं कर सकता, कोई है।
आज पंद्रह सालों बाद,
जब मैंने उसके नंबर पर कॉल किया,
किसी ने फ़ोन उठाया,
मैंने उसका नाम लेके पूछा
क्या वो है? क्या मैं बात कर सकता हूँ उनसे?
उन्होंने बताया की उसको गुज़रे हुए चार साल हो चुके हैं।
उन्होंने पूछा आप कौन?
मैंने कहा, मेरे नंबर पर मिस्ड कॉल आया था।
उन्होंने कहा... कब???

मैंने कहा.... चार साल पहले।

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26 APR 2022 AT 19:19

सफ़र
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ए मेरी जान मैं खोने को चला हूँ ख़ुद को,
फिर मिलूँगा कभी इस दिल ने इजाज़त दी तो,
फिर मिलूँगा कभी ये दर्द भुला पाया तो,
फिर मिलूँगा मैं ख़ुद को ढूँड कर ले आया तो,

पर ये हालात बताते हैं सफ़र लम्बा है...

लौटते वक़्त है मुमकिन कि कफ़न में आऊँ,
तुझसे मिलने मैं किसी और बदन में आऊँ!

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1 JAN 2022 AT 23:42

मेरी उमीद,
तुम कहीं खो चुकी हो,
अब तुम्हें ढूँडूँ,
या फिर तुम्हें पैदा करूं,

तुम्हारी तमन्ना करूं....फिर!

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3 SEP 2021 AT 20:39

गर आब-ए-वक़्त पे तुम इक हुबाब-ए-लम्हा हो,
तो ऐसे जाओ की फिर मौज-ए-इज़्तिराब आये।

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29 JUL 2021 AT 19:20

ग़ज़ल
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सारा इल्ज़ाम मुझ प' डाल दिया,
तजरबा ये भी क्या कमाल दिया,

एक दिन और राएगाँ गुज़रा,
आज को फिर से कल प' टाल दिया,

मैंने भी सर्द रातें दे दी उसे,
उस ने जब ओढ़ने को शाल दिया,

ऐ ख़ुदा मैं हूँ वह चराग़, जिसे,
तुमने जलने का बस ख़याल दिया,

ग़म जो तुझसे नहीं हुए मंसूब,
क़ाफ़िले से उन्हें निकाल दिया,

मैं यूँ नादान था कि ज़ालिम पर,
संग के बदले दिल उछाल दिया,

मैंने आगे बढ़ाए लब अपने,
उसने बोसे प' मेरे गाल दिया।

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4 JUL 2021 AT 14:25

तन्हाई
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तरस गया हूँ आफ़ताब के लिए,
कि धूप बरसे तो,
यादों से भीगे मेरे
ज़ह्न को कुछ आराम आए,

तन्हाइयों के बादलों ने
सालों से डेरा जमा रखा है,
और बरसते रहते हैं,
बे-मौसम...

इनसे नजात पाने की उमीद,
अब तुमसे है,

..कि तुम आओ तो थोड़ी हवा चले..!!

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1 JUL 2021 AT 18:34

अब कुछ ऐसा है वो नफ़रत की हदों पर है, और,
मेरा कुछ ये है मैं नफ़रत की हदें भूल गया!

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30 JUN 2021 AT 18:16

वो मुख़्तसर सी मुलाक़ात का इक अफ़्साना,
किसी तरह भी कहा, मुख़्तसर न हो पाया,

जुनूँ के साए में रह कर ख़िरद के साथ रहा,
तिरा मैं हो तो गया, सर-ब-सर न हो पाया।

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24 JUN 2021 AT 18:08

फिर बहार आने को है और दिल जवांँ होने को है,
एक छोटा सा सितारा कहकशाँ होने को है,

ज़ुल्मतें फैली हैं चारों ओर मेरे, और मैं,
जानता हूंँ आसमांँ पर तू अयाँ होने को है,

जाने क्या मुझ को लगेगा जब मैं देखूंगा तुझे,
लोग क्या पूछेंगे मुझसे, क्या बयांँ होने को है,

मैं ने जिसके वास्ते मन में लगाए थे गुलाब,
वो बहार-ए-नौ अब आ कर मेहरबांँ होने को है,

नज़्म जो तुझ पर कही थी ज़ह्न में ऐ जान-ए-लम्स,
इस किताब-ए-दिल में आ कर दास्तांँ होने को है।

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22 JUN 2021 AT 20:03

दिल के जंगल में तेरी यादों के जुगनू आये,
हिज्र की रात में हम ऐसे तुझे छू आये,

कुछ किताबों में तिरा बाल मिला करता है,
उन किताबों से तिरी आज भी ख़ुश्बू आये।

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