✨खिलाफ नही में किसी भी भाषा के,
इज्जत सबकी बराबर है।
लेकिन जब बात चली है हिंदी की,
तो जितनी सुंदर तेरे माथे पर बिंदी,
उतनी सुंदर मेरे देश की हिंदी।।
उतनी सुंदर मेरे देश की हिंदी।।✨
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🥀 न जाने कितने दिन निकल जाते है तुम्हारे इंतज़ार में,
चिलाती है खामोशियां विचारो के टकराव में,
माना तेरा जल्दी आना अभी संभव नही,
लेकिन हर रोज तुम्हारी खबर भी न पूछू मैं इतना बेरहम भी नही,
लेकिन क्या करे आज भी बैठे है मजधार में,
की तुम जल्दी न सही लेकिन तुम आओगी जरूर,
की तुम जल्दी न सही लेकिन पहले की तरह बत्याओगी जरूर,
आज भी बैठे है तुम्हारी पहले वाली हंसी के इंतजार में
आगे भी बैठे रहेंगे तुम्हारी पहले वाली हंसी के इंतजार में।।🥀-
♥️ एक हाथ मे तेरा हाथ हो,
दूजे हाथ में चाय का साथ हो,
सावन में हो रही मन मोहक बरसात हो,
सोंधी-सोंधी मिट्टी की महक भी आस पास हो....♥️
🥀बस इस सुकून भरी शाम में कोई न आस - पास हो🥀
🥀कमबख्त ये नादान दिल भी क्या-क्या सोच लेता है..🥀
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🙏फिर एक बार इंसानियत सरमसार हुई है...
इस बार महाभारत की भी हद पार हुई है...
🥀तब सामने आया एक दुहशाष्न करने तेरा चीर हरण
आज घिरी थी सैंकड़ों से जो कर गए तेरा आत्म हरण
🥀वो रोती रही, वो चिलाती रही
"में भी हिसेदार हु इस संसार की"
"में भी इज्जत हु इस समाज की"
"में भी पगड़ी हु एक परिवार की"
🥀तब भी मोन थी सारी सभा
आज भी अंधिया गई है सारी प्रजा
🥀तब आए थे कृष्ण देने सब को दंड
आज कली के युग में तू खुद दे सबको दंड
🥀बन कल्कि अवतार तू ...
लेले हाथो में तलवार तू...
तू काट दे इन हेवानो का वो अंग
तू काट दे इन हेवानो का वो अंग
जिस अंग पर करते ये घमंड
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लोगो का फेलाया अंधेरा बोहत है चारो तरफ कैसे तेरा खत पढूं,
काश तुम लिफाफे में उम्मीद की थोड़ी रोशनी भेज देती!!!!!!!!
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"किताब का पन्ना"
🥀अगर किसी किताब का पन्ना बनना ही है तो
'राम की रामायण जैसा'
'कृष्ण की महाभारत जैसा'
'कबीर की वाणी जैसा'
'गुरु की गुरबाणी जैसा'
बनो ताकि कोई उसे पढ़े तो कुछ सीख के जाए,
मुस्कुरा के जाए, उसे अपने दिल मे बसा के जाए,
न की बेवफाओ की किताबो के पन्नो की तरह जो रुला के जाए, डरा के जाए, दिल दहला के जाए, ठुकरा के जाए, तड़पा के जाए!!!!!🥀-
एक परी जैसी दोस्त उतर आई है जीवन मे
मैं तन्हा था, मैं नाराज था, मैं हताश था
उम्मीद हसने की खो बैठा था,
सच कहूं तो उम्मीद जीने की खो रहा था,
फिर जीवन मे आती हो तुम
और आते ही मुझे हंसाती हो तुम,
गुद गुदाती हो तुम, मेरे साथ साथ खिलखिलाती हो तुम
जब देखा था पहली बार नही जुटा पा रहा था हिम्मत सिर्फ हेलो बोलने की,
और आज आलम कुछ यू हे की हर छोटी छोटी बाते बता रहा हु।
सच कहूं मुझे मुझ से मिलाती हो तुम,
हां मुझे हंसाती हो तुम, गुद गुदाती हो तुम, मेरे साथ साथ खिलखिलाती हो तुम,
आखिर मे बस इतना कहूंगा......
हर चीज हद में अच्छी लगती है,
पर एक तुम हो जो बेहद अच्छी लगती हो
पर एक तुम हो जो बेहद अच्छी लगती हो!!!!
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पहले किया करते थे इंतजार इसी झरोखे पे खड़े होके
और सिर्फ हमारे लिए लाया करती थी ये हवाएं खबर उनकी ,
और आज आलम कुछ यू है...
झरोखे आज भी वही है,
हम आज भी वही है,
बस हवाओ ने रुख मोड़ लिया है।
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इतना दूर भी नही जाना चाहिए था तुम्हे, अब तो यू लगने लगा हे जैसे जमाना बीत गया हे तुम्हारा हाथ थामे.....
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अफ़सोस तुम न आए।।।
फिर गुजार लिया एक और दिन तुम्हारे इंतज़ार में,
फिर आ गई हे रात अँधेरी,
फिर यादो का ऐसा सैलाब आया,
कभी मन ही मन मुस्कुराया तो कभी दर्द ने फिर से दिल दुखाया,
तुम्हारे साथ बिताया वो हर मीठा सा लम्हा याद आया,
फिर वो टूटे हुए सपने याद आये, फिर वो अधूरे पड़े वादे भी अपने संग लाएं,
फिर से हर एक याद आई कुछ हंसा के गई तो कुछ बोहत रुला के भी।।।।
अफ़सोस तुम न आए।।।
अफ़सोस तुम न आए।।।
अफ़सोस तुम न आए।।।
अफ़सोस तुम न आए।।।
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