Gaurav Raghuwanshi   (Ayaan Gk ✨)
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Joined 10 April 2019


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Joined 10 April 2019
9 APR 2022 AT 16:53

इश्क़, दोस्ती, मतलब देखा
इस ज़माने में हमने बहुत कुछ देखा...

लोग देखे लोगो का ढंग देखा
यहां हर एक का बदला हुआ रंग देखा...

कहीं घाव, कहीं मरहम, कहीं दर्द देखा
यहां अपनों के हाथ में खंजर देखा...

कभी रात, कभी दिन देखा
कहीं पत्थर का दिल, तो कहीं दिल पर पत्थर देखा...

कभी हकीकत, कभी बदलाव देखा
यहां हर चेहरे पर दोहरा नक़ाब देखा...

चाहत, जिस्म फिर धोखा देखा
यहां मोहब्बत के नाम पर सिर्फ मौका देखा...

जीते जी बस यहीं देखना बाकी था, अयान
एक उसे भी, किसी और का होते देखा...

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15 MAR 2022 AT 22:25

तुम वो थे जिसे मैं जीना चाहता था,

ना की लिखना... !

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25 NOV 2021 AT 15:30

मुकाबला मेरा खुद से है, लड़ रहा हूं मैं खुदा का नाम ले कर
उजाले की तलाश में निकला हूं, बस्ते में शाम ले कर

कीमत मांगी है मुझसे ज़माने ने मोहब्बत करने की
निकला हूं मैं आज अपने इश्क़ का दाम ले कर

लोगो ने मुझसे मेरी जात पूछी थी
पहचान कराने निकला हूं मैं सारे इंतजाम ले कर

राहें भी नशे में डूबी नज़र आ रही है
लगता है गुजरी थी वो इनसे अपने आंखो का जाम ले कर

अपनी मंज़िल तक पहुंचने निकला है " गौरव "
इरादों में अपना मुकाम ले कर....

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23 NOV 2021 AT 8:38

तुम्हारे इन होंठो से झगड़ना है इजाज़त चाहिए
तुम्हे अपनी बाहों में भरना है इजाज़त चाहिए

इश्क़ की कायनात का अकेला चांद हो तुम
इक आसमा तेरे नाम करना है इजाज़त चाहिए

तेरा नाम लेकर ये सांसे बैचैन करती है
इन सांसों को परेशान करना है इजाज़त चाहिए

ख्यालों की दुनिया, जज़्बातों के सागर से
तुम्हारे बारे में कुछ लिखना है इज़ाजत चाहिए

आज आसमां बेदर्द सितारों से भरा है
यहां जुगनुओं को रखना है इजाज़त चाहिए

मुझे तुमसे प्यार है, इजहार करना है
इज़ाजत चाहिए.....!

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20 NOV 2021 AT 10:22

कबूल है ज़िंदगी का हर तोहफ़ा
ख्वाइशों का नाम बताना मैंने छोड़ दिया है,

जो मेरे अपने है, वो मेरे पास है
गैरों पे अब हक जताना मैंने छोड़ दिया है,

मुस्कुरा कर करता हूं स्वागत सबका अब
गमों की नुमाइश करना मैंने छोड़ दिया है,

सीख गया हूं मैं भी हांजी हांजी करना
गलतियों का अहसास करना मैंने छोड़ दिया है,

गुरुर तो कभी था ही नहीं मुझमें
अब आत्मसम्मान के लिए भी लड़ना,
मैंने छोड़ दिया है..!!

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15 NOV 2021 AT 17:01

जो नहीं कहा.... वो बताओ ना
जो नहीं किया वो.... करवाओ ना
मैं कुछ दबा सा हूं
तुम थोड़ा खुल जाओ ना

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13 NOV 2021 AT 13:14

मौके पे रंग कई बार बदले है
लोग ऐसे समझदार निकले है

महक ख़ूब थी इश्क़ में लेकिन
चुभन देखी, गुलाब खार निकले है

जरूरत में जिसकी तरफ देखा
उस मुंह से बहाने हज़ार निकले है

सुना है वफ़ा वाले कत्ल होंगे
हम घर से तैयार होकर निकले है

जब भी पीठ में मेरी छुरा आया है
सच, मेरे अपनो के वार निकले है

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27 OCT 2021 AT 10:08

गोरी भोली सूरत का ये फैला है बाज़ार मियां
लेकिन उसके दो नैनो के आगे सब बेकार मियां
कोमल ह्रदय और मीठी बातों का वो संगम है
उसके कंठो से बहती है अमृत की रसधार मियां
देख के उसको आसमान में चंदा भी शर्माता है
सूरज चूम रहा उसको दिन में बारम्बार मियां

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17 OCT 2021 AT 19:59

तुम्हे मै बुरा ही लगूंगा, क्योंकि अच्छा नहीं हूं मैं
तुम्हे मैं झूठा ही लगूंगा, क्योंकि सच्चा नहीं हूं मैं
ये मत समझना नफरतें पाकर,
ज़िंदगी से कोई शिकवा नहीं,
ये तो सच है टूट गया हूं, दिल का पक्का नहीं हूं मैं

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17 OCT 2021 AT 19:54

देखती रहीं उन्हें जाते हुए ओझल तक ये आंखे
मोहब्बत की इबादत थी...
पलटकर मुस्कुरा दिए वो एक बार
खुदा की इनायत थी...
वो मुस्कुराए किस वजह से थे, काफी साल समझ नहीं आया
राज तो तब खुला जब साथ खड़े दोस्त की शादी का कार्ड आया

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