ना तु आती तो ना होती आंखे गम मेरी
ना तु हंसती तो ना बढ़ती दिल में ये चुभन मेरी
ना तु जाती तो ना हारता मोहब्बत से रकम मेरी
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कहते हैं इश्क़ अगर सच्चा हो तो
खुदा दोनो को मिला ही देता है
कमबख्त हमारी बारी आई तो
खुदा ने भी अपने उसूल बदल लिये-
इश्क के इस शतरंज में हमे कब अपनी
ही रानी ने मार डाला पता ही न चल सका-
आजा तुझे तेरी हर बात याद दिलाता हूं
तुझे तेरे बेवफ़ा होने का अहसास दिलाता हूँ
जो कभी हँसता हुआ रहता था ये दिल
आजा तुझे उस दिल के रोने की आवाज सुनाता हूँ-
उसके जाते वक्त हमने कहा था उसे
कभी भूलना मत हमे
और देखो
वो हर रोज़ मेरी ख्वाबो में आती है-
जब तू साथ हो तो
हर लफ्ज़ शायरी बन जाते हैं
और तेरे कही हुए हर एक बात
मेरे मुस्कराने की वजह......-
सबसे ज्यादा इश्क़ तो
तन्हाई को है मुझसे
कमबख्त कभी भी अकेला नही छोड़ा
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हां नम हो जाती हैं आंखे
आज भी जब उसकी याद आती है
और फिर से ये धड़कने उसकी
यादो से गुफ़्तगू में लग जाती है
न चाह कर भी दो पल के लिए
फिर से उससे मोहब्बत करा देती हैं
और मेरी सारी नफरत को कुछ पल के लिए ही
किसी कोने में दफना देती हैं
हां नम हो जाती हैं आंखे
आज भी जब उसकी याद आती है
Rajj
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किया था इश्क़ हमने भी कभी
बस निभा न सके
वो मुस्करा के सब छोड़ के चली गयी
पर कमबख्त हम ही ना मुस्करा सके
किया था इश्क़ हमने भी कभी.......-
दिला दो कोई घर ऐसा
जहां सुकून से एक रात गुजार सकूं
वरना जब से इश्क़ किया है
तब से ये आँखे नींद से ज्यादा
आंसुओ से मोहब्बत कर बैठी हैं-