इश्क़ के इंतेज़ार में इश्क़ मरता है
हिज्र की रात में बस इतना होता है-
Joined YQ on 12 Feb|
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मुकम्मल लिखने जा रहा हूँ मैं तुझको
आज अपना बता रहा हूँ मैं तुझको
इक दुनिया में हिज्र देखा है हमने
इक दुनिया में पास बुला रहा हूँ मैं तुझको
ये दुनिया श्रृंगार में जा डूबी है
मोहब्बत से सजा रहा हूँ मैं तुझको
मेरी ग़ज़लों में ढूँढ रहे है सब तुझे
अपनी आँखों में छुपा रहा हूँ मैं तुझको-
आपका प्रारब्ध आपके जन्म को सुनिश्चित करता है
परंतु आपका चयन निर्धारित करता है आपकी मृत्यु-
तुमसे मिलना ही ना बन जाए मेरी मौत की वजह
आप इतनी शिद्दत से मुझसे ना मिला कीजिए-
आँखों देखा हर बार सच कहाँ होता है
बहुत अच्छा आदमी बहुत बुरा होता है-
अच्छा होता देर से जाती,हो जाती कुछ बाते और भी
बीत जाती ये हिज्र की रातें ये बरसाते और भी
कुछ तुम कहते कुछ मैं कहता कुछ कहती खामोशियाँ
गिले शिकवे है कई,और है कुछ बाते और भी
जाते जाते कहते हो तुम जल्द मिलने आओगी
आंसू ना होते आँखों में अगर होती मुलाकातें और भी
तुम अपना ख़याल रखना तुम्हारे हिस्से तन्हाई है
मेरे पास है दिल तेरा, तेरी यादें, है सौगातें कुछ और भी
"गौरव" बदहवास सा शायर है ज़िन्दगी अपनी बिता लेगा
दे दो मुझको कुछ कलम कुछ दवातें और भी-
ये आती जाती चाहत है चलो यूँ ही सही
हर पल बदलती अपनों की सूरत है चलो यूँ ही सही
मेरे खत को फाड़कर उन्होंने जवाब भेजा है
उन्हें किसी और से मोहब्बत है चलो यूँ ही सही
बिना उसके जिए जाना अधूरा सा लगता है
मरना अब दिल की हसरत है चलो यूँ ही सही
इश्क़ तो इश्क़ है इश्क़ में क्या हार जीत
एक तरफ़ा भी ये खूब-सूरत है चलो यूँ ही सही
यहाँ रिश्तों में अब मतलब का पहरा रहता है
अपनापन भी एक सियासत है चलो यूँ ही सही-