Gaurav Kumar   (Gaurav.anijwal)
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Joined 24 December 2017


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Joined 24 December 2017
16 DEC 2023 AT 21:16

आदमी

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20 MAY 2023 AT 22:37

आज़ादी एक जंग

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20 APR 2023 AT 12:19

बड़ा आलसी हो गया हूँ

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12 JAN 2023 AT 20:04

कहानी से कविता तक

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16 NOV 2022 AT 11:28

corporate में घुसते ही….. 🚬

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3 OCT 2022 AT 0:20

तुम रात हो
इसलिए ख़ास हो
मैं अंधा उजाले से
और तुम मख़मली अहसास हो
रोज़ लगती हो
बला की ख़ूबसूरत
मग़र आज पूर्णिमा की रात तो
इसलिए बड़ी ख़ास हो
नशा तेरी रातों का
डूबता जाता जिसमें सूरज कोई
वो जादुई राज़ हो
तुम बिखेरतीं चमक अपनी
खनकती पायल की मधुर आवाज़ हो
तुम रात हो तभी तो
ख़ास हो कुमलकर सोता
जिस ज़िस्म से लिपटकर मैं
वो अनछुआ अहसास हो
हाँ तुम रात हो
हाँ तुम रात हो

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17 SEP 2022 AT 20:18

जब तुम नाचतीं हो

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15 JUL 2022 AT 21:43

जिन काग़ज़ों पर मैंने शेर लिखे
कवितायें लिखी क़िस्से लिखे कहानी रची
उन पन्नो से अब आंसू टपकते है
मेरे दर्द के , पसीना बहता है मेहनत का
तो कभी खून टपकता है पीड़ाओं का
तो कभी भार लिए फिरते है ज़िम्मेदारियों के
ये काग़ज़ मेरे
आँधी आए तो कभी उड़ते नहीं है
इतना भार लिए बैठें है मेरा
बारिश आए तो भीगते नहीं है
इतना भीग चुके है आँसुओ से
तोड़ मरोड़ों काटो जलाओ
जलते नहीं है
ये पत्थर है वो जो हिलते नही हैं
आसमान मैं उड़ाओ तो फड़फड़ाने लगते है
पुराने प्रेमियों के आगे गिड़गिड़ाने लगते है ये पन्ने
अगर इनसे बतलाओ तो बतियाने लगते है ये पन्ने
पन्ने मेरी डायरी के अब हर बात पर मुस्कुराने लगे है
पन्ने ये मेरे आज मुझे देख इतराने लगे है
पन्ने कुछ इश्क़ में लिखे पन्ने कुछ इंक़लाब में बुने
ये पन्ने अब सयाने हो चले है मुझे छोड़ पीछे
आगे बड़ चले है ये पन्ने…

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2 JUL 2022 AT 20:00

मैंने क़सम खायी है

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27 MAY 2022 AT 20:02

कितनी दिलकश हो तुम

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