दोस्ती के नाम लिख दिया है सुदामा किंतु
कृष्ण ने निभाई दोस्ती तो द्रौपदी से थी
द्रौपदी के द्वार गये कृष्ण ख़ुद मुसीबत में
और बुरे वक़्त में उम्मीद भी उन्हीं से थी
घर पे सुदामा भूखा, भूखे बच्चों को सुलाता
उसकी ये हालत क्या छुपनी किसी से थी
उसको ही आना द्वार पड़ा चावलों के साथ
जबकि लड़ाई तो गरीब सुदामा से थी
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