गुरु हमेशा सृजन का मार्ग बताए
मन के तमस को हर जाए
नाकारात्मक भूमि पर जो
सकारात्मक बीज लगाए
अधर में फंसी नैया को जो
भवसागर से पार लगाए
कृपा करे जिस नर पर
उसको नारायण बनाए
सर्वसाधारण को सर्वश्रेष्ठ बनाने का सामर्थ्य जिसमे विद्यमान् है
नतमस्तक हूँ उन सभी के आगे जिसने कुछ सिखाया हैं-
I m the boy from M. P. the HEART of India... Pharmacist by profession...
Int... read more
यादों के गलियारे से गुजरते वक़्त
रुक गया एक मोड पर
सोचा कुछ फिर संभला
लगा सारा खेल मन का था
कभी मैं किसी के मन को नही भाया
तो कभी कोई मेरे मन को नही भाया
समझ नहीं आया रिश्ता दिल का था या मन का था
गुनेहगार बनाऊँ भी तो किसे
दिल भी अपना था और मन भी अपना था-
हर एक उस इंसान का
निकला था जो पाने
फलसफा ईमान- ए- हयात का
उमर बढ़ी इच्छाएँ बढ़ी
उम्मीदों ने पैर जमा लिए
जिंदगी के सफर में खुद ही
अवरोध के बीज उगा दिए
हमेशा दूसरों की राय पर चले
खुद का कोई मान ना था
खुद की हुई बर्बादी का दोष
ईश्वर को देना इसका निदान ना था
वक़्त अभी गुजरा नही सुधर जाओ
जीना है जीवन तो नियम और संयम अपनाओ-
रहती हैं हमेशा शिकायत तुम्हें कि,
कभी तुम्हारे लिए कुछ नही लिखता
पढ़कर जिसे तुम्हें खुशी मिलें,
प्यार की वो इबारत नही लिखता
प्यार हमारा अनंत हैं कैसे समझाऊँ तुम्हें
मेरी भावनाओं को शब्दों में बंया कर कैसे बताऊँ तुम्हें
बस तुमसे इतना कहना चाहता हूँ
प्यार की इस अनंतता को सीमाओं में बांधना नही चाहता हूँ
मैं तुम्हारा हूँ, मेरे अल्फाज़ तुम्हारे है
मेरे दिल के हर राज़ तुम्हारे हैं
प्यार में चाँद तारों को तोड़ लाना कोई बड़ी बात नही
पर ये अतिशयोक्ति की बातें मेरे बस की बात नही
सरल हूँ, साधारण हूँ, क्या पता कितनी अच्छाई हैं
मानो न मानो पर प्यार में पूरी सच्चाई हैं
दिखावे का प्यार जताना मुझे नही आता
क्या तुम्हें हमारा सादगी भरा व्यवहार नज़र नही आता
ये सादगी ही हमारे अटुट रिश्ते की बुनियाद हैं
दिल में बसी सिर्फ एक-दूजे की ही आस है
चाहें कितनी भी हों मुसीबत
जीवन के हर एक मोड़ पर तुमने साथ निभाया है
आज तुम्हारे जन्मदिन पर वादा तुमसे करता हूँ
जीतेजी तो मैं साथ हूँ ही तुम्हारे
पर मरने के बाद भी साथ निभाने का वचन देता हूँ-
इश्क़ किया भी तो, उम्मीदों से...
मुकम्मल होना कहा मुमकीन था
समझ नहीं आता अब क्या किया जाए
इश्क़ में उम्मीद रखी जाए या
उम्मीदों से इश्क़ किया जाए
हमने दोनो करके देख लिया
ना इश्क़ पुरा हुआ ना उम्मीदें पूरी हुई-
बेफिक्र बने रहने में ही भलाई है
थोड़ी सी फिक्र करने लगो
तो लोग फायदा उठा लिया करते हैं
अपना हक़ तो याद रहता हैं अच्छे से उन्हे
बस अपनी जिम्मेदारियों को भुला दिया करते हैं-
उमर भर कैद में इसकी रहते हैं
माया मोह में पड़कर हम
इसके बंधन में रहते हैं
वक़्त का पहियाँ चलता रहता
साथ में उसके चलते हैं-