Gaurav   (Gaurav गुमनाम)
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Joined 2 June 2020


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28 SEP 2021 AT 19:23

Remembering Fearless saheed Bhagat singh

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29 JUL 2021 AT 13:51

मै दुःखी हूँ ये सारा ज़माना कहता है
हर शक्श बया नया अपना ही अफ़साना कहता है

मै जब तलक जला रोशनी लौ की दूर तक रही
अब जो बुझने लगा हूँ तो धुआँ औ राख ज़माना कहता है

ईक तस्सली थी साथ तेरा उम्र भर को मिला है
पर कहाँ ज़माने में लंबा ए गुमनाम ईश्क़ का फ़साना रहता है

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18 MAR 2021 AT 9:08

ईक और परिंदा बंद पिंजरे से आज़ाद हो गया
उड़ने से पहले जंगल का घरौदा बरबाद हो गया

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12 JAN 2021 AT 22:47

सुकु से बैठ सोचू उसके बारे पे ईक फ़ुर्सत का लम्हा भीनही मिलता
भुला दिया हो जो उसको खोजने पर ऐसा कोई इक पल नही मिलता

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9 JAN 2021 AT 17:08

खुली किताब हूँ एक ऐसी जिसे पढ़ ना सका अब तक कोई
बाक़ी ऐसा हिसाब हूँ जिसे दौलत मंद पूरा न कर सका कोई

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27 DEC 2020 AT 17:01

कर रहम किसी को ऐसी खुदाई ना मिले
उम्र इतनी भी लंबी ना हो की साँसो से रिहाई ना मिले

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22 NOV 2020 AT 20:17

अगर ज़िन्दा हो तो ज़िन्दा नजर आना भी ज़रूरी है
जान बाक़ी है शाखो मे हवाओं से कभी टकराना भी ज़रूरी है

लहर के संग बहजाने मे वो लज्जत कहा वो हिमाक़त
कश्ती का कभी लहरो का सीना चीर कर पार जाना भी ज़रूरी है

है मशहूर अकड़ पहचान मुर्दे की जमाने मे जानते है हम
कभी तो समंदर के भँवर मे चट्टान सा तन जाना भी ज़रूरी है

हर शक्श की हसरत है यहाँ आदम ख़ास बनजाने की
हक़ीक़त जाने को ज़माने की इन्सा आम बनजाना भी ज़रूरी है

ज़िन्दगी महज़ जीने का नाम नही सलिका जीने का आना भी ज़रूरी है
परिंदे बन महज़ उड़ नही सकते परो का उड़ने को फैलाना भी ज़रूरी है

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15 OCT 2020 AT 6:32

जब जब उठाता हूँ क़लम ईक ख़ुशबू मिरे अल्फ़ाज़ से आती है
लिखता हूँ ग़ज़ल उर्दू मे हिंदी ज़हन मे नूर सी रौशन हो जाती है

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13 OCT 2020 AT 20:28

क़िस्सो को दास्तानो को हक़ीक़त का जामा कौन पहनाएगा
रहमत का भरोसा गर उठ गया तो खुदा के दर पे कौन आएगा

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12 OCT 2020 AT 23:11

समन्दर की घूँट पी कर दरिया क्या गहरा बनजाएगा
शैतान ने जो पढ़ी दुआ तो क्या खुदा बहरा बनजाएगा


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