हूआ यू की भरे मेले से मायूस और खाली हाथ ही लौटे हम
पर धोखे के बाजार मे ख़ुशी का खरीदार बनना मुनासिब ना समझा-
चन्द लाइनें लिख़ कर मुझे शायर बनने का शौख नही, रूह की आप... read more
उसका ही तो है सब कुछ, गर छुप कर किया गुनाह तो भी
पर्दा नही नज़रो से उसके कोइ कभी ज़मी तो कभी आसमा उसे ईत्तला देगा-
कर रहम ए खुदा किसी को ऐसी खुदाई ना मिले
उम्र इतनी भी लंबी ना हो की साँसो से रिहाई ना मिले-
क़िस्सो को दास्तानो को हकीक़त का जामा कौन पहनाएगा
गर रहमत का भरोसा उठ गया तो खुदा के दर पर कौन आएगा-
ना जमीं हो गी ना आसमाँ होगा
बाद मरने के ना जाने क्या होगा
गिर जाएगी बुलंद इमारतें कई
खाख़ मे दबा उनका निशा होगा
जिस जिस्म को सवारा उम्र भर
जल कर आख़िर वो फ़ना होगा
फ़ूल आएगे आँगन के दरख़्तों पर
ना वो ख़ुशबु ना ही वो समाँ होगा
बाद रैयत देती है पोसा उसके दर
पर ना जाने कहा वो बादशाँ होगा!-
परिंदे है वो ऊँची मुक़ामों के
ना काटो पंख उनके ज़िन्दा अरमान रहने दो
है बुलन्द मुश्किलें चट्टान गर तो
हौसलो के तीर कमान रहने दो
तुल जाए जिसमें रूह और ईमान मिरा
गर हो सके तो ऐसा ईक मीज़ान रहने दो
बन्द है ग़ुरबत की कारी रातों मे
संग यादों का कोई हमराज़ रहने दो
वो गली अब कही नही खुलती
वो रास्ता अब कही नही जाता
गर है उसका ईक आख़िरी मकान
तो आबाद -ए-शम्मा वो मकान रहने दो।-
तुम ने जब से चहकना छोड दिया
हँस कर मुझसे बात कर ना छोड दिया
फ़ूल खिलते है उन बाग़ो पर
अब फूलों ने देखो महकना छोड दिया
बादल आते है गलियों मे अब भी सावन के
पर बादलों ने अब गरजना छोड दिया
बूँद पड़ती है आँगन मे मेरे अब भी
पर अभ्र ने अब हमारे घर बरसना छोड दिया
जलते है चूल्हे पकती है रोटी
पर रोटी के लिए लोगों ने इस घर मे रहना छोड दिया।-
होता है नया सवेरा तारीख़ -ए -अख़बार बदल जाता है
खबरें तो एक सी हि है सब बस किरदार बदल जाता है l-
बस अपने जस्बात उस तक पहुचाने को , कितने ही अल्फ़ाज़ लिख दिए हमने जमाने को
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