खुद को साबित करना छोड़ दिया मैंने
बातो का मतलब निकाला लोगो ने अपने हिसाब से !
खाली कागज है लोग फड़फड़ाने दो
चुप्पी की किताब बन बैठा हूं मै-
ख़तम हो जाए सांसे बस इतना ख्वाब है जिल्लत की जिंदगी जीना भी पाप है.
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एक बहाना जीने का
पतझड़ हुए को, फिर सीन्चने का
मरू जो रूखी है कबसे अंतर्मन की
नए चाँद लगा,फिर सावन भीगने सा।
जो बिखरे है,वक़्त गुजरा समझ छोड़ दो
नए कलाम बाकी है,दो मौका लिखने का।
रंजिशे करनी हैं कई खुद से,नया गौरव जगाने को
नहाना है मस्ती के यौवन में, आइना तैयार है निहारने को
पहिया रुकता नहीं कैद मे,खून के हुक्मरानों से
बेफिक्र हो उड़ पड़ो, आता नहीं कोई बेड़िया काटने को।
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साँझ के साथ कभी अपनी परछाई पे भी बात करो,
ढलते सुरज के बाद,हमेशा साथ,इस साथी को याद करो
सादिया गवाह हैं साथ छोड़ते कई इंसानों की
मुक्क्मल खड़ी हर वक़्त में, उस दोस्त के नाम भी कुछ शाम करो-
नज़र अपनी भी तीखी रखना प्यार में शामिल होने के लिए,
बरसो से ठोकर खाकर इश्क में, आशिक शायरी में वक्त गुजार रहे हैं।।-
होली का रंग अब फीका लगने लगा है।
किसी और का रंग उसकी माँग में सजने लगा है।-
हो मोहब्बत फिर से मुझे कभी
झरना तुम्हारी आंखों का,अभी तक जो बोझ डाले है
प्यार की आहट से, सावन की बूंद महसूस हो कहीं।
कई वार सहे मैंने दिल के,इश्कि पुलिंदा लिए जिया हूँ
सुखी है आंखे गम मे, गुलाब जल प्यार का पड़े शायद कहीं।
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दिल में लाता इक प्यार भरी मिठास।
खुश्बू इश्क़ की चुनता, करता ख्वाबो से बात
सारे रंग भरे है इसमें,खेलता रोज नई उमंग में साथ।
हसीं है मजा है,अन्छुए पहलुओं के दर्द को करता साफ
इजहार है हर रोज तुमसे, की तुम मेरी जिन्दगी हो
तुझे जीने हर रूप में,रोशन करता मेरा संसार,तुम्हारा साथ।
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