तकिया भींग जाता है अब मेरे आँखों के पानी से,
जब से उसने बुरा भला कहा है अपनी जुबानी से।
मेरी औकात नहीं अब किसी से नजरे मिलाने की-
खेल रही दुबारा वही खेल किसी और के जवानी से।।-
ध्यान मंज़िल पर है पर रास्ता भटकता नहीं,
नाज़ुक सा दिल है यूं ही किसी का तोड़ता नहीं।
हां थोड़ा जिद्दी सा हूं मैं अपने उसूलों को लेकर,
जब तक नहीं मिलती है मंज़िल कदम मोड़ता नहीं।।-
जिंदगी जीने और जिंदा रहने का जब फर्क पता चला,
जब तक गुजर गई थी जिन्दगी जब सही अर्थ पता लगा।-
वक़्त आजमाता है तो अपने भी आज़माने लगते हैं,
जिससे देखो वो बीमार समझ ईलाज बताने लगते हैं।
नए अमीरों में ये एक अज़ीब परंपरा सी शुरू हुई है-
घर की चीज़ों की क़ीमत और ख़ासियत दिखाने लगते हैं।-
किसी से हमने कभी भी नहीं कहा प्यार कीजिए,
करना है इजहार ए मुहब्बत तो सरेआम कीजिए।
आजकल ज़माने में सच्चे प्यार की कोई कदर नहीं,
प्यार के दिखावा से कही अच्छा हमें दुत्कार दीजिए।।-
जब मन मस्तिष्क पर ख़ुद चढ जाए ख़ुमार समझ लेना होली आई है।
जब तन मन खुद ही हो नाचने को बेहिसाब समझ लेना होली आई है।
जिसका नहीं आता था कभी ख्याल,नैना तरसती थी दीदार को-
उनको फिर से छूने का ख़ुद दूबारा क्षण मिले समझ लेना होली आई है।।-
खुशियो का त्योहार है मनभेद मिटा देना,
लगा गुलाल चेहरों पर पहचान छुपा देना।
मिटा दे गिले शिकवे लगा गले एक दूसरे को-
भाईचारे का पैग़ाम सारे जहान में पहुंचा देना।
रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें
-
बिना नारी शक्ति कहीं नहीं उजाला है,
शक्ति ने ही देवताओं को पाला है।
ढाल-तलवार खेल खेल राजनीति का
फिर मान सम्मान और देश संभाला है।-
कितने बार टूट कर बिखर कर रोई है जिंदगी,
अपनों के बीच में बार बार खोई है जिंदगी।
धीरे-धीरे गुमनाम सा जी रहा हूं मैं भी,
कोई नहीं जानता है मैंने कैसे ढोई है जिंदगी।
खुशी से बात करने वाले भी नहीं मिलते,
कई रात अकेली तन्हाई में सोई है जिंदगी।
लोगों के दिए गए जख्म बयां कर रहे हैं,
कैसे बातें कांटों की तरह चुबोई है जिंदगी।
ओस के बूंदे से बुझाई हो प्यास जिसने,
पूछो उनसे आखिर कैसे संजोई है जिंदगी।।-
जिसकी मजबूत लाठी है उसका ही जोर है,
सच्ची बाते मौन है झूठे का ही आज शोर है।-