कभी भी ख़ुद की कसीदे नहीं पढ़ना अपनी शान में,
बड़े बड़े बेहतर लोग राख बने पड़े हैं सुने श्मशान में।
बस इतना ही ध्यान रखना हमेशा ऊँचा रहे सर अपना,
झुके सर तो मालिक के दरबार में या किसी के सम्मान में।
इस कलयुग में मतलबी रिश्तों का बड़ा बोलबाला,
दिल से रिश्ता निभाया जो वो रहा हमेशा नुकसान में।
किसी की बनावटी चेहरे पर विश्वास नहीं करना कभी,
बासी मिठाई ही मिलती है बड़े बड़े नामचीन दुकान में।
बेवजह किसी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए,
याद रहे बहस में जवाब मुँह तोड़ देता है अपमान में।
भूल कर भी कदम पीछे नहीं करना जिंदगी के रण में,
हर किसी की हार या जीत ही होती है जंग ए मैदान मे।।
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