बंजारी दुनिया
बंजारी दुनिया है, यहाँ हर शख्स कई चाहों में भटकता है
कोई राहों में भटकता है, कोई पनाहों में भटकता है
कोई सीखता है ठोकरों से, कोई सलाहों में भटकता है
कोई गुम है अँधेरों में, कोई सुबहों में भटकता है
कोई मसरूफ़ है मज़हबों में, कोई गुनाहों में भटकता है
कोई तरसता है इश़्क को उम्र भर, कोई बाहों में भटकता है
कोई उसकी हँसी में पागल है, कोई आहों में भटकता है
बंजारी दुनिया है, यहाँ हर शख्स कई चाहों में भटकता है
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