ख्वाबों की तरह ही झूठे मेरे यकिन निकले,
महबूब तो दूर की बात है, दोस्त भी कहा नसीब निकले!
चमकती रेत पर पानी का सिर्फ एक धोका था,
हसीन चेहरे... दिल के कब हसीन निकले!
बड़ी-बड़ी बातें करने वालों कि जेबें टटोली,
चंद नोटों में छिपे खोखले इनके ज़मीर निकले!
जो आसमान से उतरे वो ज़मीन पर गिरे,
वो कहां जाएं जिनके पैरों तले ज़मीन निकले!?
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Racer.Crazy.Lover.
Dreamer.Believer.Achiever.
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जो खुद से खुद को जुदा करदे,
ज़हन में उमड़ा हों चाहे तुफ़ान ख्यालों का,
हंस कर वो सबकुछ फना करदे।
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ये नकाब जो ओढ़े है तुमने खुद को छिपाने के लिए,
राज़ उनके पीछे के मुझे दीखा तो सही!!!
वो तस्वीर जो दबी है अलमारी में कही,
कहानी उसके पीछे जो है मुझे सुना तो सही!!!
क्यू ??
क्यूंकि...
मिलना है तुझसे तेरी उन कहानियों में कही,
जहां तेरे ये राज़ कभी राज़ थे ही नहीं,
मुझे लगता है इस चेहरे पर भी होगी खिलखिलाती हंसी,
होगी ये आंखे भी जगमगाती जिनमे अब ख़्वाब कोई है ही नहीं,
मचलता होगा वो दिल भी कभी जो पत्थर बन अब जलता भी नहीं,
मुझे जाननी है वो सारी बातें जो की है तूने सिर्फ खुदसे ही।
मगर क्यू?
आखिर क्यों है इतनी दिलचस्पी तुम्हें मुझमें?
क्यों बताउ में तुम्हें कुछ भी?
मेरे लिए गैर हो तुम कोई अपने तो नहीं!!
में तेरा अपना होता तो हक जताता, पुछता ही नहीं...
तू इस हाल में जबसे है उस हाल में अकेला छोडता ही नहीं...
माना अपना नहीं हुआ तेरा पर तु अपना तो सही,
इस राह से में भी चल चुका हूं, थोड़ी सी हिम्मत तू भी दीखा तो सही।
ये नकाब जो ओढ़े है तुमने खुद को छिपाने के लिए,
राज़ उनके पिचे के मुझे दीखा तो सही!!
वो तस्वीर जो दबी है अलमारी में कही,
कहानी उसके पीछे जो है मुझे सुना तो सही!!-
तुम राख की बातें करते रहो, मैं आग पे चलके आ रहा हूँ।
तुम कुएं में उछलते रहो, मैं गहरे समंदर में जा रहा हूँ।
तुम चलते रहो इन राहों पर,
मैं अपनी राह बना रहा हूँ...
और ये अंधेरे का खौफ किसी और को देना,
मैं खुद को मशाल बना रहा हूँ।
तुम देते रहो मुहावरे गैरों के,
मैं अपनी धुन में गा रहा हूँ...
हां... तुम करते रहो कोशिशें मुझे रोकने की,
मैं तुफानो की सवारी से आ रहा हूँ।
तुम राख की बातें करते रहो, मैं...-
एक सफर चल रहा है अब भी,
एक सफर के खत्म होने के बाद...
ये सफर ही जो कहीं थमता नहीं,
इसी सफरमे हीं तो मैं थकता नहीं...
ये सफर रहेगा कल भी यूहीं,
इस सफर की कोई भी मंजिल बनी ही नहीं...
नाम क्या दूं मैं इसे इश्क़ या जिंद??
दोनों ही बेईमान... साथी है सफर के।।
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Sorry
When Doctors Says this to patient's family... It's more than sadness-
महज़ एक लफ्ज़ ही था जो कागज पर लिखा था मैंनें,
तेरी आंखों ने पढ़कर उसे जबसे मनमें गुनगुनाया हैं...
वह “इश्क़" हो गया॥
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She:- Kaafi badal gaye ho tum!
Me :- Haan...
अब दिल की बात बताया नहीं करता,
प्यार आसानी से जताया नहीं करता,
तेरी बात कुछ और थी...
अब इन बातों पे वक्त ज़ाया नहीं करता।
जाने वाले को मूड़ के बुलाया नहीं करता,
अकेले में पलकें भीगायां नहीं करता,
तेरी बात कुछ और थी...
अब इन बातों पे वक्त ज़ाया नहीं करता।-