एक किताब है,जो मेरे दिल के पास है
जिसमे लिखा मैने तेरा मेरा साथ है।।
हम दोनो के बीच ना कोई रस्म न कोई रिवाज है
उसके हर पन्ने में देख मेरे हाथों में तेरा हाथ है।।
जहां हर शाम ढले तू मेरे करीब होता है,
हर रात पलंग पर बगल में मेरे तू सोता है।।
जहां तेरे सीने पर सर रख मैं धड़कन तेरी सुन लेती हूं,
तेरी सांसों की धुन में मैं नगमे नए पिरो लेती हूं।।
जब थक जाती हूं, कभी इस दुनिया की कश्मकश से मैं,
तेरी बाहों में सिमट कर, कुछ पल चैन के मैं जी लेती हूं।।
कभी मैं सजती हूं, तुझको रिझाने के लिए,
कभी आईने में देख खुद को ही थिरक जाती हूं।।
बनाकर चादर मैं तुझको कभी अपनी,
खुद को हर सर्द मौसम से बचाती हूं।।
कभी मैं बेवजह तुझसे झगड़ती हूं,
तू मनाए मुझे इसलिए तड़पती हूं।।
सजा कर मेहंदी कभी इन हाथों में,
खुदा से तेरे लिए रोज दुआ करती हूं।।
पर रुक सी जाती है ये दुनिया उस पल मेरी,
जब उस किताब को मैं रखती हूं बंद करके ।।
हां ! बस वही एक किताब है जिसमे तेरा मेरा साथ है।
वरना इन लकीरों में तो बस जुदाई और तेरी याद है।।।।।।।
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