सीखा है आपसे ही इस पड़ाव को पार करना,
अब जिंदगी में आपसे ही पड़ाव आ गया|-
कर ले जिंदगी से दर किनार,
खोल ले अकेले ही ज्ञान के भंडार,
कर ले अकेले ही तू ज्ञान की नयिया पार,
मगर समझ ले उभरेगा तो तू अकेला ही रहेगा|-
काश अपने कुल के दीपक को कभी दीपक दिखा दिया होता,
तो कभी वो दूसरे के कुल के दीपक को बुझने नहीं देता|-
कहना था बहुत कुछ, पर बातें अधूरी रह गईं,
सुनना था तुमसे प्यार का हर इज़हार,
पर वो इज़हार भी अधूरा रह गया,
साथ चलते-चलते राह में, मंजिलें अधूरी रह गईं,
रहा तो साथ बस जिम्मेदारियों का फलसफा,
बाकी सांसें चलती रही लेकिन ज़िंदगी अधूरी रह गईं|-
सौंपना न कभी किसी को अपने जीवन की बागडोर,
सफ़र लंबा है, और तुम्हारा कोई नहीं है ओर-छोर|-
I am late deliberately because my imagination are very high for the future moments and they got vanished if i thought something in advance and this hurts me alot. when I plan for myself in isolation then it works. But i am not a isolated human being rather a part of Society.
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I am the product of my environment or my thoughts or ideas !!! Uncertainty exists.
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बरस जाते हैं हम अपना समझकर,
मगर अटक जातें हैं उस विचार पर,
कि कहीं आपको इस बरसात में भीगना ही न पसंद हो|-
कुछ और भी बाकी हो तो बोल के निकाल दीजिए,
आज हूं मैं, कल फिर रहूंगी नहीं|-
वो धीरे-धीरे पास आ ही रहे थे,
वो धीरे-धीरे प्रेम जाता ही रहे थे,
लेकिन अचानक !
एक दिन उनकी सांसें हीं चलीं गई,
वह रे भगवान,
मेरे लिए प्रेम भी लिमिट वॉरेंटी के साथ आया !-