Garima Saxena Gupta   (ink_scribbled_soul)
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Joined 28 March 2020


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Joined 28 March 2020
27 MAY AT 16:31

Morning fog begins to clear,
With that warm mug drawing near.
Bitter kiss and velvet sip,
Hope returns with every drip.

Deadlines loom, but I don't care—
Fuel for thoughts that spark midair.
In this cup, my soul rewakes,
Coffee knows the peace☕ it makes🫶

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19 MAY AT 19:38

i.e. Being MYSELF🫶

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7 SEP 2024 AT 19:43

तुम्हारे मन को देखा है मैंने
कुछ और भला क्या ज़रूरी है...
तुम्हारा साथ पाया है उम्र भर का मैंने
बस ... अब ये उम्र मेरी इसी में पूरी है।

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28 AUG 2024 AT 23:32

कुछ और चंचल हो रहे हैं....
नेक सहज हो रहे हैं सहसा चटख हो खिल उठ रहे हैं,
तुम्हारे संग ज़िंदगी के रंग कुछ और निखर रहे हैं ।

तुम्हारे संग ज़िंदगी के रंग रंगोली सम सज्ज हो रहे हैं
कुछ और मुस्कुरा रहे हैं
तुम्हारे संग मेरी ज़िंदगी के रंग....
गुलाल लग रहे हैं... महावर लग रहे हैं.....सिंदूर लग रहे हैं...... मेंहदी हो रहे हैं।।
तुम्हारे संग ज़िंदगी को रंग लग रहे हैं।

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28 AUG 2024 AT 22:59

Choose yourself first😊

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11 JAN 2024 AT 19:14

जब उपयुक्त समझ ना आए तो सर्वप्रथम उपर्युक्त को जांच लेना उत्तम और प्रायः निहित उत्तर होता है।

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8 NOV 2023 AT 21:07

संध्या तो बस ढलती है और प्रत्यक्ष करती है अंधकार मेरा, तुम्हारा और समस्त संसार का,
जो अरुणोदय उपरान्त विस्मरित हो छाया ही रह जाता है।

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17 OCT 2023 AT 21:06

समर्पण का भाव तुम्हारे वेग को भी अलंकृत कर देता है,
इस उद्विग्न यात्रा का आश्रय संभवतः ठहराव होता है।

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26 AUG 2023 AT 8:08

बुद्धि की क्षमता हो जब विक्षिप्त
मन व्याकुल कैकेयी हो बैठे
जब कूटप्रबन्ध लगे सम्मति
मंथरा विप्र जो बन बैठे
शोकाकुल तुम रह जाओगे
राम तो राम ही हो चले हैं वन को
मलीन चरित्र तुम्हारा युगों तक दृष्टिगोचर है
युग की संहिता में पुरष्कृत होंगे राम और
और तुम होगे संघनित कुटिलता का प्रसंग
यदि बुद्धि की क्षमता हो जब विट्ठल
मन चंद्रगुप्त हो सृजक हो जाये
कूटप्रबन्ध भी अनुशासित हो चाणक्य सम कूटनीतिज्ञ कहलाये...
भेद बस तुम्हारे मन और बुद्धि की प्रवृत्ति मात्र का है।

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22 APR 2023 AT 7:10

शाम को मिलने का तय किया था उसने..
सामने आया मेरे वो... जी भर के आँखों में सूरत समायी भी नहीं थी.... कि ढल गया वो शाम की पनाह में....
धरा का धैर्य दिव का भी असमंजस है चिरकाल से

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