एक बात समझ आ गई है दौलत से बड़ा कोई अस्त्र शस्त्र है तो वो है आपकी मानसिक मजबूती जिंदगी जीने के लिए
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तुम सुबह का चाँद बन जाओ, मैं सांझ का सूरज हो जाऊँ,
मिलें हम-तुम यूँ भी कभी, तुम मैं हो जाओ, मैं तुम हो जाऊँ.
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सौ बार नमन् तुमको मेरा
मुझको तुमसे पहचान मिली
मेरे सपनों के पंक्षी को
तुमसे ही नई उड़ान मिली
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पैरों में छाले, हौसलें हैं बुलंद,
राहों के कांटे,खुद ही निकालेंगे हम,
जख्मों में मलहम भी लग जाएगा,
जब इन नंगी आंखो से दूर घर दिख जाएगा....-
यहां तेरी प्यास को जो समझे वो इंसान नहीं है,
यहां तो एक दूसरे के खून के प्यासे हैवान बहुत है
प्यास बुझानी है तो उड़ जा पक्षी सरहदों से कोसों दूर,
तेरे हिस्से का पानी यहां अब प्लास्टिक बोतलों में बंद है...
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माँ
तेरी हर सीख सुनाई देती है माँ,
तू इंसानों में इंसान बनाती है माँ।
खुदा हर घर नही बस सकता है ना,
इसलिए हर घर में तू पायी जाती है माँ।।
यूँ तो मैं तेरे करीब नहीं ज़्यादा,
फिर भी तेरी फिकर दिखाई देती है माँ,
डर जाती हूँ मैं अक्सर जब घर आकर,
तू घर में जब नही दिखाई देती है माँ ।।
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आसमान
मैंने सोची थी आसमां की उड़ान,
पर बहुत दूर है मेरा मुकाम ,
लेकिन लगाऊंगी एक दिन,
बिना थकने वाली छलांग।
मैं ऐसे कैसे आशाओं को छोड़ दूं,
जो ख्वाब देखे उनको तोड़ दूं,
अभी तो पंखों में हिम्मत भरनी है,
एक सीढ़ी मेरी आसमां तक बननी है।
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जिसके होने से ही मैं खुद को ,
मुकम्मल मानती हूँ,
मैं रब के पहले से भी ,
अपनी माँ को जानती हूँ।।-
मेरे ज़हन में बस तेरी फिक्र होती है,
क्या इतना भी हक़ नही मुझे.....?-