Garima Pramod Shukla   (Gauri)
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हौसलों की उड़ान लिखूंगी ,कामयाबी की पहचान लिखूंगी
Joined 9 June 2018


हौसलों की उड़ान लिखूंगी ,कामयाबी की पहचान लिखूंगी
Joined 9 June 2018
1 JUL 2021 AT 9:46

यूंही बैठे रहो हाथ थामे

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1 JUL 2021 AT 9:43

जो लोग सबके राजदार होते हैं ना ,
वो असल में किसी के राजदार नहीं होते....

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3 JUN 2021 AT 11:19

खुद के वजूद से समझौता

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10 APR 2021 AT 23:29

जीवन ही नहीं ठहरा.... अब तो समुद्र भी ठहर गया है,
इंतज़ार दोनो को अब... सिर्फ़ ज़िंदगी का है।

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9 FEB 2021 AT 13:44

कभी कभी जीवन इतना शांत होता है कि
घड़ी की टिक टिक भी साफ सुनाई देती है,
और कभी कभी मन में इतना शोर होता है कि
साथ बैठे व्यक्ति की चीख भी नहीं सुनाई देती...

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27 DEC 2020 AT 3:35

कभी कभी लगता है जीवन भोर के चांद के जैसा हो गया है जो अधूरा भी है तन्हा भी है और जिसे सूरज के उगने से अपना अस्तित्व खोने का डर भी है........

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24 NOV 2020 AT 20:15

अच्छी लडकियां जिद नहीं करती चांद खिलौने को पाने की,
क्योंकि उन्हें पता है हर किताब के पन्ने पर लिखा है उनके लिए एक शब्द-असंभव....

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20 OCT 2020 AT 18:47

क्या वाकई अंत में सब ठीक हो जाता है???

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15 OCT 2020 AT 9:22

मैं चाहकर भी छुप नहीं सकती,
इस दुनिया की भीड़ में.....
शायद अपने किस्म की इकलौती हूं मैं...

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17 SEP 2020 AT 14:44

एक स्त्री होती है आदर्श तब तक ,
जब तक वो नहीं करती विरोध,
जब तक वो नहीं उठाती अपने लिए आवाज ,
जब तक वो सुनती है गालियां,
जब तक वो मांगती नहीं अपना अधिकार,
जब तक वो देती नहीं पलट के जवाब,
जब तक वो चुपचाप सहती है खुद पर हुए जुल्म,
किन्तु जैसे ही वो बोलती है खुद के सम्मान के लिए,
तब हो जाती है समाज के लिए कलंक....

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