garima jain   (गरिमा किरण "उन्मुक्त")
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तत् त्वम असि....
Joined 21 April 2019


तत् त्वम असि....
Joined 21 April 2019
3 JAN 2023 AT 22:11

एक आस बनाए रखनी पड़ेगी
और पास बनाए रखनी पड़ेगी
हर बात बन जायेगी, बस
बात बनाए रखनी पड़ेगी।

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25 DEC 2022 AT 6:45

पर्वत की तलहटी से भी
हम देखते हैं कि
ऊंचें शिखर का
दर्शन होता है
परंतु,
चरणों का प्रयोग किए बिना
शिखर को छू पाना
संभव नहीं है।

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24 DEC 2022 AT 17:05

नफ़रत पनप गई है चाहत खत्म हुई है
जीते पर हंसती दुनिया मुर्दे पर रो रही है
हम फिर इन उम्मीदों का साथ छोड़ते न
ये सीख भी तो हमको उम्मीद से मिली है

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24 DEC 2022 AT 16:47

कांटों से घिरा ये सौंदर्य ( अच्छाई )
शायद इसलिए अच्छी है कि
इसके चारों ओर काटें हैं ....

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24 DEC 2022 AT 8:08

कभी कभी जैसे तन कमज़ोर हो जाता है
वैसे मन भी कमज़ोर पड़ जाता है...

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22 DEC 2022 AT 22:02

पथ पर चलता है
सत्पथ पथिक वह
मुढ़कर नहीं देखता
तन से भी, मन से भी।

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29 JUN 2022 AT 16:12

मैं भटकती दरबदर हूं
की परेशा इस क़दर हूं
कोई तो मंज़िल मैं पा लूं
ख़ुद से कहती हर पहर हूं

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25 JUN 2022 AT 17:24

क्या फ़िज़ूल है
क्या कबूल है
मुझमें ज़िंदगी है
बस यही उसूल है

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11 JUN 2022 AT 20:03

It was only when you came that the value of the light came.

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11 JUN 2022 AT 10:04

बात से जज़्बात की सी गुफ्तगू में यकीनन

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