garima dubey   (Garima Dubey (मन की गहराइयों से))
316 Followers · 39 Following

read more
Joined 1 February 2018


read more
Joined 1 February 2018
23 MAY AT 15:19

पैरों तले जमीन खिसक गयी
आंखें पत्थर–सी जड़ गयी
हृदय की गति असमान्य
और
जीवात्मा निढाल–सी हो गयी
एक क्षण में ही....
मैंने अपने घड़ी की रफ्तार....
सच कहूं.....
जिन्दगी थमती–सी दिख गयी

-


23 MAY AT 0:52

बहुत कुछ बताना था तुम्हें.....
कुछ अपने दिल के
कुछ अपने जीवन के
कुछ अपने सपनों के
कुछ अपने हकिकत के
कुछ–कुछ में ही सही....
बहुत कुछ बताना था तुम्हें...___
लेकिन तुम ने तो बीच राह मे ही
अपने ख्वाहिशों का हाथ थाम
मुझे हमेशा के लिए......
खामोश कर गए तुम.....

-


8 MAR AT 14:49

जन्मों–जन्म
तू मिले तो खिल उठूं मैं
तू मुस्कुराए तो सज जाऊँ मैं
तू माने तो सब मन जाऊ मैं
तू बसें तो ठहर जाऊ मैं
तू बहन हैं.....
तू सखी हैं.....
तू जीवन हैं.....
तू दुनियाँ हैं
तू मां हैं.....
जन्मों–जन्म_ _ _
बस.....
जन्मो–जन्म तू साथ रहें....

-


7 FEB AT 19:21

तुम्हारा दिया गुलाब
अपना सु़र्ख रंग ना ला सका
इस अधूरे गुलाब की ही तरह
रह गए अधूरे,....
तुम्हारे वादे भी....
तुम्हारा दिया गुलाब...
अब रंग बदल सफेद हो गया
एकदम....
तुम्हारे ही तरह
उसने भी हाथ छुड़ा लिया.... सफेद रंग के जैसे
मेरे हसीन सपनों को कफन ओढ़ा गया......

-


22 DEC 2024 AT 22:29

जब तुम मिले थे तो सर्द गुलाबी का मोसम था
थी अनकही नासमझी सी कहानियाँ हमारी
और आज सालों बाद जब तुम बिन बैठी सोचने
सच मानो....
एहसास हुआ अपनी नादानियों का

-


21 AUG 2020 AT 0:01

वो हमसे पूछते हैं
ये जिंदगी क्या हैं...
हमने भी कहा―-―
ना चाहते हो तो भी मुस्कुराओ
थके दिल को थपथपा कर जगाओ
किसी और पर धड़के ये दिल
उससे पहले तू खुद को प्यार जता
जिंदगी के गम मे ना डूब तू प्यारे
अपनी जिजीविषा की नाव को पार लगा
किसी और के पनाह मे तुम ठहरो
उससे पहले तू खुद का इक आशियां सजा
किसी और पर टिकी तेरी उम्मीदें टूटकर बिखरे
उससे पहले तू खूद को ही अपनी उम्मीदों से सजा

-


13 DEC 2018 AT 16:20

तेरी दुआओं में रहूंगी
तेरे सपनों में रहूंगी
तेरे हिस्से के सजे
हर किस्से में रहूंगी
तेरी राहों में रहूंगी
तेरी पनाहों में रहूंगी
बनकर मीठी-सी बात
तेरे रूह में रहूंगी
हां---------
मैं एक याद हूं
इसीलिए-------
खुबसूरत याद बन
तेरे दिल में रहूंगी

-


28 DEC 2021 AT 1:04

बहुत दिनों बाद....
जब इस गली से
मैं गुजरती हूँ......
लगता हैं ऐसे__
जैसे सजी–धजी
अपनी बगीया से गुजरती हूँ......
बगीया मेरी.....
शब्दों की....
भावनाओं की.....
उम्मीदों की....
सपनों की.....
बातों की....
यादों की.....
सजी–धजी, बनी–ठनी__
एहसासों की माला में शब्दों की लड़ी–पड़ी
मेरी ये बगीया सजी -धजी

-


17 MAY 2021 AT 20:52

तूने जो भी दिया
बेहतर ही दिया
फिर.....
धुप में छांव हो
छांव में धुप हो
या___
राह में मंजिल हो
मंजिल तक खुबसूरत सफर हो
जिंदगी....
तूने जो भी किया
अचल से अपने आंचल तले
जीवन-जीने को बेहतर सहारा दिया

-


9 MAY 2021 AT 13:47

माँ सिर्फ जीवन नहीं देती
जीवन को निभाने और संवारने
का खुबसूरत हुनर भी देतीं हैं
वो रिश्ते भी देती हैं...
जो माँ जैसे ही होते पास और खास
वो दादी-नानी का प्यार-दुलार
वो मासी-बुआ का सभी के डांट से बचाने वाला परवाह
वो चाची-मामी का रूठे मन को बहलाने वाला हंसी-मजाक
वो बहनों में झलकती तुम्हारी सूरत-सीरत वाला ख्याल
माँ.....
तमाम रिश्तों को जीने का ख्याल
खुद से ज्यादा अपनो का ख्याल
जीवनराग को गुनगुनाने का ख्याल
घर-बाहर सब बखूबी संभालने का ख्याल
हर दौर में जीवन जीने का ख्याल
माँ.....
तुमने ही तो दिया हैं
जीवन को सजाने-संवारने का ख्याल

-


Fetching garima dubey Quotes