garima dubey   (Garima Dubey (मन की गहराइयों से))
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Joined 1 February 2018


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28 DEC 2021 AT 1:04

बहुत दिनों बाद....
जब इस गली से
मैं गुजरती हूँ......
लगता हैं ऐसे__
जैसे सजी–धजी
अपनी बगीया से गुजरती हूँ......
बगीया मेरी.....
शब्दों की....
भावनाओं की.....
उम्मीदों की....
सपनों की.....
बातों की....
यादों की.....
सजी–धजी, बनी–ठनी__
एहसासों की माला में शब्दों की लड़ी–पड़ी
मेरी ये बगीया सजी -धजी

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17 MAY 2021 AT 20:52

तूने जो भी दिया
बेहतर ही दिया
फिर.....
धुप में छांव हो
छांव में धुप हो
या___
राह में मंजिल हो
मंजिल तक खुबसूरत सफर हो
जिंदगी....
तूने जो भी किया
अचल से अपने आंचल तले
जीवन-जीने को बेहतर सहारा दिया

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9 MAY 2021 AT 13:47

माँ सिर्फ जीवन नहीं देती
जीवन को निभाने और संवारने
का खुबसूरत हुनर भी देतीं हैं
वो रिश्ते भी देती हैं...
जो माँ जैसे ही होते पास और खास
वो दादी-नानी का प्यार-दुलार
वो मासी-बुआ का सभी के डांट से बचाने वाला परवाह
वो चाची-मामी का रूठे मन को बहलाने वाला हंसी-मजाक
वो बहनों में झलकती तुम्हारी सूरत-सीरत वाला ख्याल
माँ.....
तमाम रिश्तों को जीने का ख्याल
खुद से ज्यादा अपनो का ख्याल
जीवनराग को गुनगुनाने का ख्याल
घर-बाहर सब बखूबी संभालने का ख्याल
हर दौर में जीवन जीने का ख्याल
माँ.....
तुमने ही तो दिया हैं
जीवन को सजाने-संवारने का ख्याल

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3 MAY 2021 AT 20:44

ये कैसी दुर्दशा हैं.....
विज्ञान भी हैं
तकनीक भी हैं
लेकिन____
मानवता नहीं हैं......
किसी के मर जाने पर राजनीति
किसी के जीवन पर अर्थनीति
कहीं दवाओं की किल्लत
कहीं सांसों की जिल्लत
वाकई___
ये कैसी दुर्दशा हैं....
मौत ने भी क्या तांडव रचा हैं
किसी का उजड़ गया घर-संसार
किसी का सूना हो चला आंगन-चौबारा
कहीं अस्पताल कम पड़ जाने का हाहाकार
कहीं जलती-सुलगती लाशों से पट जाता श्मशान
ये कैसी दुर्दशा हैं.....
हर घड़ी छलते इंसान इंसानियत को
मानवता भी अब शर्मसार हैं

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5 APR 2021 AT 2:34

तुम मिले मुझे
तो मानों.....
खुशियों की महफ़िल सज गयी
बेख्याली में डूबे
मेरे दिल को
तुमसे सजे ख्वाब की
चाहत-सी लग गयी
तुम्हारे इस बेइंतहा मोहब्बत में
मैं.....मलंग हो गयी

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17 MAR 2021 AT 1:20

दो प्याले सजे-सजाये मिले
दुख भी हैं
सुख भी हैं
छलके-छलके नैनों के जाम भी हैं
जीवन की मधुशाला में
थोड़ी धूप भी हैं
थोड़ा छांव भी हैं
क्या हुआ जो___
थोड़ा टूटा-सा हैं ये दिल
या......
थोड़ा बिखरा-सा हैं ये दिल
ये दिल तो....
ये दिल तो...
यादों के नशे में मदमस्त-सा हैं
ये मेरा दिल....

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26 FEB 2021 AT 23:22

एक दौर था....
एक चाय की प्याली....
और सिर दर्द छूमंतर
माँ के हाथों बालों में चम्पी....
और सिर दर्द छूमंतर
और___
एक दौर ये भी है....
दवाईयों पे दवाईयां....
और सिर दर्द__
फिर भी नहीं जाता....
😂

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21 FEB 2021 AT 1:06

समझ नहीं आता....
क्या दुं जवाब मैं
उसके सवालों का...
सवाल____
जिंदगी की
चाहत की
इकरार की
और...
उसके पागलपन की
जितना ही सुलझती हूँ मैं
उसके ख्यालों में
उतना ही उलझ जाती हूँ मैं
उसके सवालों में
सच कहूं.....
समझ नहीं आता.....
क्या दूं जवाब मैं
उसके सवालों का....

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12 JAN 2021 AT 0:46

काश ऐसा भी कुछ होता.....
जो मन का वहम मिटाता
कुछ बूरे ख्याल
कुछ तिखी बात
कुछ काली रातों की ख़लिश
कुछ चमकते सूरज की चुभन
काश ऐसा होता.....
दफन हो जाते कहीं ये बिगड़े बात____

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10 JAN 2021 AT 1:06

ज़रा-ज़रा सी धुप
.............
ज़रा-ज़रा सी चांदनी
ज़रा ज़रा सी रागनी
.............
इस ज़रा-ज़रा के हर जर्रे में
.............
ज़रा-ज़रा सी जिन्दगी
ज़रा-ज़रा सी ख्वाहिशें

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