Gari   (Mayakshli)
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Joined 19 April 2019


Joined 19 April 2019
25 MAY 2021 AT 18:57

विरासत में बेटे को मिलती है सम्पत्ति जो एक समय के बाद उसका सहारा बनती है...
बेटियों को दे दिया जाता है सहनशीलता जो एक समय के बाद उसकी कमजोरी बनती है...
हम सब देखते हैं बहुत उद्दण्ड लड़कियों को भी बहुत कुछ सहते हुए।।।

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29 MAR 2021 AT 20:04

घर से दूर थे तो बस घर आने की जल्दी थी
अब आए हैं तो हर शै से मन उकताया सा लगता है
वक्त बहुत जालिम है क्या क्या रंग दिखाता है
बेहद अपना शख्स है मगर पराया सा लगता है

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19 MAR 2021 AT 18:56

स्त्रियां त्याग और अधिकार के, संवेदना और तर्क के, पराधीनता और अस्तित्व के, क्षमा और न्याय के संक्रमण काल में हैं...
उन्हें बताया जाता है उनकी विशेषता त्याग, संवेदना, संरक्षण और क्षमा है उन्हें बोध होता जा रहा है अपनेअस्तित्व का वे समझने लगी हैं न्याय उनका भी अधिकार है...
कदम बढ़ाने के क्रम में उनका एक पांव सीखने की तरफ है दूसरा समझने की तरफ... यात्रा लम्बी है...
स्त्रियां अभी संक्रमण काल में हैं।।।

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9 MAR 2021 AT 18:06

ये औरतें महज औरतें नहीं हैं
तुम्हारी माएं हैं जिनकी कोख से तुम जन्म लेते हो
तुम्हारा अनकहा इतिहास इनसे ही शुरू हुआ है
तुम्हारा अनदेखा भविष्य इनसे ही बचा हुआ है।।।

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1 MAR 2021 AT 19:15




थोड़ी सी नमी आंखों में
है तल्ख जबां में शीरीं
और एक महक सांसों में

मैं रंग-ए- नजर हूं यूं तो
बिखरुँ भी तो होली जैसी
बिगड़ी सी बनी सी थोड़ी
मेरे गाँव की बोली जैसी

संजीदा है जो मुझमें
अम्मा से चुराया है सब
जो शोख शोख है, मुझ पर
बाबा का लुटाया है सब


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1 MAR 2021 AT 18:56

हालांकि कमबख्त को सच मालूम था मगर
दिल ही तो है ऐतबार करता रहा
उसकी आंखों को पढ़ लिया था हमने कब का
वो तो कहता था "तुम्हें हमेशा ही प्यार करता रहा"

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27 FEB 2021 AT 20:40

My mom used to say that do good to everyone forget if they are bad to you, you are good so you do good to everyone...

I got the life lesson that be reflective to everyone. Be absolutely reflective.

I follow both my mom and my life lesson I do good to everyone unless they do anything bad to me then i turn my reflective mode on...

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25 FEB 2021 AT 9:13

माज़ी में डूबे रहकर हम मुस्तकबिल के लम्हें क्यों खोएं....
मुड़ मुड़ कर पीछे तकने से क्या मसअले हल हो सकते हैं....

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24 FEB 2021 AT 21:41

When I survived the dreadful night alone and laughed hard the very next day like there is no other day,
I realized life is easy to live you just have to be blunt on so many sharp experiences, and sharp to so many blunt relationships.

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22 FEB 2021 AT 18:47

पितृसत्ता का सबसे बड़ा दोष यह है कि
यह स्त्रियों को घर के भीतर की दुनिया में बांध कर उन्हें पुरुषत्व से वंचित करना चाहता है
और पुरुष को घर से बाहर की दुनिया देकर न केवल स्त्रीत्व से वंचित करता है बल्कि जबरन उन पर पुरुषत्व का भार मढ़ता है...
जब कि मिलनी चाहिए स्त्री को भी दृढ़ता और पुरुष को भी कोमलता...
आवश्यक है कि स्त्री-पुरुष दोनों को ही घर के अंदर और बाहर की दुनिया आधी-आधी मिल सके।।।

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