Ganesh Sharma   (शर्माजी)
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Joined 16 February 2020


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Joined 16 February 2020
9 JUN AT 7:43

सफेद नही पर रोशनी से अच्छा हु,
मुझे बदलना छोड़ो में बुरा ही अच्छा हु,
उस जैसा क्या बनना जो याद नही रहता,
में मरहम तो नही में जख्म अच्छा हु,

चुभता सबको हु पर लफ्ज अच्छा हु,
में खुदा तो नही पर शैतान अच्छा हु,
मतलबी है सारे इंसानियत क्या जाने,
में जानवरों के बीच इंसान अच्छा हु,

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4 JUN AT 11:20

वो मौसम भी जाना कितने खास लगे,
तुम नही थे पास फिर भी पास पास लगे,
ओर ये किसकी यादे हमे छलनी कर गई,
जमाना छोड़ो हमे तुम्हारे तीर लगे,

बुरी आदत है हमारी हम भूल जाते है,
एक याद तुम्हारी आई तुम जुबान चढ़ने लगे,
शाम हमारी तो बस तुम्हे बुलाती है,
तुम रहती हो तो चांद चांद लगे.

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24 MAR 2023 AT 17:08

सुंदरतेच्या दागिन्यात एक नटून आली परी,
स्वतःच लक्ष वेधे आपुले दुर्लक्ष करावे तरी,
चंद्रा सारखी लखलखणारी बाजूबंद घालुनी,
दिसे हे साक्षात रूप तिचे जणू लक्ष्मी आली घरी,
आज सकाळी एक स्वप्न पाहिले,
बंद डोळे ही दंग राहिले,
स्पष्ट सुंदर मी देव पाहिले,
आई बाबा जणू उभे राहिले,
काय जिंकलो काय राहिले,
मी पूर्ण केले जे होते पाहिले,
मी स्वर्ग जिंकलो आणी धरती,
तू सांग आई आणि काय राहिले,
किती ही फिकी लखलखाट,
ह्या अवकाशातील चांदन्यात,
ती सर्व भरली ह्या अंगणात,
आई तुझ्या साडी चा रेशमात।

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14 SEP 2022 AT 14:02

सूरज की रोशनी में अंधेरा क्या होगा,
जो तेरा था ही नही तेरा क्या होगा,
अब वो भी करते है चर्चे मेरे जलवो के,
जो हर दम कहते थे कि तेरा क्या होगा,
मेरी तो प्यास अभी दरिया सी बाकी है,
तेरे नफरत के कुछ कतरो से मेरा क्या होगा,
कइयों को तो चुभती है कही झूटी बाते मेरी,
सच कहूंगा अगर तो सोच क्या होगा,

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19 AUG 2022 AT 15:40

सूरज की रोशनी में अंधेरा क्या होगा,
जो तेरा था ही नही तेरा क्या होगा,
अब वो भी करते है चर्चे मेरे जलवो के,
जो हर दम कहते थे कि तेरा क्या होगा

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30 MAY 2022 AT 23:17

कोई लड़ रहा है मुझसे,
तूफान की शक्ल सा,
मेने देखा है आसमा में,
अपनी परछाई को.

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20 MAY 2022 AT 1:37

क्यो न होगा मेरा मुझसे,
इतना अच्छा रिश्ता,
मेने अपने अंदर भी,
एक उम्र गुजरी है.

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21 APR 2022 AT 0:28

रहो वही घुटनो पर अंजाम यही पाओगे,
अब जिस्म तो सवारा रूह कहा से लाओगे,
सुना है जिस्म से दिल सस्ता है तुम्हारा,
बाजार लगाओ बड़ा मुनाफा पाओगे.

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13 APR 2022 AT 16:41

"मैं शर्माजी का लड़का,वो मुझसे मोहोब्बत करती थी,
में एक इशारा ढूंढता,वो खुल के इजहार करती थी"
"में पूजा दर्गा पर करता था,वो दुआ मंदिर में करती थी"
में दीवाना उसके सुरमे का,वो मेरी निगाह पे मरती थी,
कितनी ईदे मनाई मेने,वो होली पर रंग लगती थी,
पहले निवाले पर इफ्तारी के,उसे मेरी याद भी आती थी
दिए यहाँ भी जलते थे,जश्न वहां भी होता था,
जो रहता था यहाँ छलनी में,वो चांद वहां भी होता था,
ये मेरे इश्क़ की दुनिया थी,मजहब जहा पर अंधा था,
वो मेरे राम की परछाई,में उसके अल्लाह का बंदा था,
में मजनू था कान्हा सा,वो मीरा सी दीवानी थी,
कभी न होगी शायद पूरी,ये मेरे इश्क़ की कहानी थी।

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23 MAR 2022 AT 23:17

कइयों ने लगाया रंग हमे,
इस रंगीन होली पर,
तुझ जैसा रंग हमे,
काश कोई लगता.....

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