ये सर्द हवाएं
चेहरे को छूकर जाएं
अहसास तेरे होने का कराएं
और खुद को अकेला हम पाए
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पहाड़ी हूँ पहाड़ जैसा अडिग भी
कागज, कलम और कहानी
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की हमें फर्क नहीं पड़ता तेरे जाने से
रोज खुद से झूठ बोलता हूं
की खुश हूं तेरे वापस न आने से
रोज खुद से झूठ बोलता हूं
की तेरी याद न अब मुझको आती हैं
रोज खुद से झूठ बोलता हूं
की न ये तन्हाई मुझे सताती हैं
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आलस छोड़ संघर्ष ही करूंगा
सपने अभी तक हैं अधूरे
भाई तू कैसे जिया हैं ?
किया हैं न कुछ बस बहाने बनाएं
मंजिल तक जाना था लेकिन खाली लौट आए
लेकिन करना हैं अब चाहे मौत आ जाए।
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तक़दीर में था जो वहीं मिला हैं
ज़िंदगी के दिए जख्मों को सीला हैं
विश्वास तोड़ जाते लोग लेकिन खुद से ही गिला हैं
यकीन जो न करता टूटने पर उसके न मरता
दुनिया से कुछ न कहता बस खुद से ही लड़ता ।।
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All the hustle, early mornings, late nights
and missed parties will pay off one day.-
रोज़ देती है मौत दस्तक ।
बचेगा बोल तू कब तक ।।
कर न दूँ जब तक मैं समस्याओं का खात्मा ।
तब तक मुक्त न होगी मेरी आत्मा ।।
प्रलोभन न दे,मर गया है मेरे अंदर का लोभी ।
एकांत रास आये,दूर रह मुझसे तू है जो भी ।।
वो भी साथ जब आयी मुझसे थी परेशान
इंसान की शक्ल में मिले सब शैतान।।
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जले ज्वाला ज्योति की तरह जिगर में
राम को रात्रि भर याद किया कल की फिकर में
सवेरे करता तप भागीरथी के किनारे
और दिन गुज़रे मेरा शिवा के सहारे
सुदामा जैसा मैं और लक्ष्मी गई मुझसे रूठ
सखा था कृष्ण जैसा दोस्ती गई उससे टूट
जीवन मेरा सैनिक सा ख़त्म होता न युद्ध
जिया या मरा कोई लेता न सुध
बाधायें कम न हो लगे इंद्र की है साजिश
मरे बिना स्वर्ग मिले यही है ख्वाहिश
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मेरे मरने के बाद लोग मुझे करेंगे याद
जलाया जाए या दफनाया जाए होगा विवाद
वापस पाने की खुदा से करेंगे फरियाद
अभी समय देते नहीं वो रो रो के करेंगे समय बरबाद
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