मानता हूँ खामियां बहुत हैं मुझमें,
मगर तू एक बार कह के तो देखती,
अगर मैं बदल ना लेता खुदाको, फिर कहती !
मानता हूँ कमियां भी बहुत हैं मुझमें,
मगर तु एक बार टोक के तो देखती,
अगर उन्हें सुधारने की कोशिश करके बदल ना लेता खुदको, फिर कहती !
मानता हूँ की गलतियां भी करता हूँ बहुत,
मगर तू एक बार गलतियां मेरी बताकर तो देखती,
अगर वही गलती करता मैं फिर से, फिर कहती !
हाँ तूने कहा है की तुझे पसंद नहीं हूँ मैं,
मुझे सीधा सा बोलके देखती, फिर कहती !
तूने कह तो दिया की मैं तेरे लायक नहीं,
अगर तेरे साथ कभी कुछ गलत किया हो, तो कहती !
तूने ये भी कहा है की परेशान रहती तू मेरे साथ उम्र भर,
अगर मेरा हाथ थामती, और चार कदम पैदल चलकर देखती, फिर कहती !
मगर इक बात ये भी जान ले की औरो जैसा नहीं हूँ मैं,
जो भी करता हूँ पूरी सिद्दत से करता हूँ,
इश्क हो या फिर नफ़रत,
अगर ना करता, फिर कहती !
बिना कुछ समझे इतना कुछ कह दिया तूने,
मगर पहले समझती मुझे, जानने की थोडी सी कोशिश करती, और फिर कहती !
वक़्त का तकाज़ा ये कि,
मेरे रिश्ते या तो बनते नहीं,
और झूठे लोगो के साथ कभी रुकते नहीं
तू एक बार मुझसे सच बोलकर देखती,
फिर कहती !
तूने अपनों में गिना हि नहीं मुझे कभी,
मेरी तरह तू भी एक बार निस्वार्थ अपना समझके देखती,
फिर कहती ।।
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