इश्क कही बिखर गया है ,
अब मालूम नही चलता ,
तुझमें खोया रहता हूं ,
पता ही नही चलता।-
सच कुछ पन्नों का
एक सच कल का कुछ यूं था ,
की यकीनन कल खत मिला था,
मैं नीचे खड़ा था और तुम ऊपर,
दो पन्ने और कुछ उसके टुकड़े,
शायद शाम थी और कुछ दोस्त,
जब कमरे में जोड़कर पड़ा था ।
क्या लिखा ये तुम जानती हो,
और क्या छुपाया अब मैं जानता हूं ।
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तेरे बिन अधूरा हूं ,
तू बात भी नहीं करती है ।
तू जानती है मुझको ,
फिर भी बात नहीं करती ।
मानती है कि नहीं ये तो पता नहीं ,
लेकिन देखकर मुस्कुराती भी नहीं ।
तुम पढ़ती हो रोज मुझे ,
तुम सुनती हो रोज मुझे ,
पर कहती भी कुछ नहीं ।
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मेरी पूरी उम्र लगे ,
पर तू मेरे पास रहे
तेरे भले ही हजार नखरे हैं,
पर तेरे हजार नखरे भी खास रहे ।-
तुम इश्क करती हो
और इजहार भी नहीं करती
मैं जानता हूं तुम्हारा नाम
कहीं तुम बदनाम ना हो जाओ
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तुम तो चले गए ,
राहत लेने के लिए ,
पर मेरे जमीं में राहत ना मिली ।-
तुम तो चले गए ,
राहत लेने के लिए ,
पर मेरे जमीं में राहत ना मिली ।
D.gajendra-
कसम से चेहरे में ,
कमाल दिखती हो
एक बार साड़ी पहन कर चलो
बवाल दिखती हो-
तुम खूबसूरत हो तुम्हारा दीदार काफी है,
साड़ी में लाजवाब लगती हो इंतजार बाकी है ।
its me - G
for u ❣️D.......
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