सच बताऊं तो मैं भी मेरी उम्र से काफी बड़ा हूं, जिंदगी ने बहुत कुछ सिखाया है। यह भी नहीं है कि हर बार सही होता हूं, पर हां मुझे पता रहता है मैं कहां गलत होता हूं।
बेशक़ ग़ुलाब और कांटे एक साथ रहते हैं , लोगो को कहते सुना है इनके एक साथ रहने पर भी संगत नहीं मिलती, पर बता दु जो दर्द ग़ुलाब के बाद होता हैं, फ़िर वो काँटे का दर्द भी फीका लगता हैं।