तेरी तस्वीर संग ख़ुद को इस कदर जोड़ा था, वक़्त की धार को अजीब ढंग से मोड़ा था, तक़दीर को भी तेरे माथे की लकीर संग जोड़ा था, हर दुआ का रुख बस तेरी ओर मोड़ा था, बस तेरे सोहबत की खैर मिले, इसी दुआ की खातिर मैने, हर ख़ुदा के आगे अपने हाथों को जोड़ा था, तेरी मोहब्बत में मैने अपने हर रिश्ते को मरोड़ा था, सब कुछ मिल कर भी तेरी कमी रही , यु तो जहाँ के खज़ानों से मेरे पास कहाँ कुछ थोड़ा था
कुछ लोग चाँद सरीखे होते हैं, चाहे कितना भी मोहब्बत कर लो, ना छू सको, ना पा सको, ख्वाहिशें बेशुमार रख लो, बस झांक कर गुज़ारा करलो, लाखों सितारे जिसके पास हों, ख़ुद की चाँदनी बेशुमार हो, वो ज़मीं के अंधेरों का क्यूँ कर हो, तुम तो तन्हाईयों का बस, ज़िंदगी भर सहारा कर लो