चांद हमराज़ है ,
हमारी मौजूदगी का ,
जो कभी मिलते नहीं फिर भी ,
एक दूसरे को महसूस करते हैं।
चांद हमराज़ है ,
हमारी अनकही बातों का,
हमारी चाहत का ,
जो कभी बयां भी न हुई ।
वो गवाह है,
बे-दाग मोहोबत का ,
जिसका इजहार अभी इंतजार में है।
वो शाहिद है ,
उन आंखों में भरे एहसासों का,
जो पाख इरादे से उसे निहारती है।
उस वक्त का ,
जो मेरा और सिर्फ तुम्हारा है।
वो चांद जब तक है,
वो सभी सफेद मोहोबतें रहेंगी।
क्योंकि वो हमराज है ,
उन सभी दिलों की मोहोबतों का ।
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