" त्यागात् पूर्वं एकवारं अपि प्रयासं कर्तुं विचारयतु "
Before You Give Up Consider
Trying One More Time.
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लंका ना बचा पाया , शीश चढ़ाने वाला !
ये दूध चढ़ाने वाले किस भ्रम में है !!
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गुलाम थे तो हम सब हिंदुस्तानी थे
आज़ादी ने हमें हिन्दू मुसलमान बना दिया !!
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तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है, और तू मेरे गांव को गँवार कहता है !!
ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है, तू चुल्लू भर पानी को भी वाटर पार्क कहता है!!
थक गया है हर शख़्स काम करते करते ,तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है !!
गांव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास ,तेरी सारी फुर्सत तेरा इतवार कहता है !!
मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं, तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है !!
जिनकी सेवा में खपा देते थे जीवन सारा, तू उन माँ बाप को अब भार कहता है !!
वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लाते थे, तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है !!
बड़े-बड़े मसले हल करती थी पंचायतें ,तू अंधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार कहता है !!
बैठ जाते थे पराए भी बैलगाडी में, तेरा पूरा परिवार भी न बैठ पाये उसे तू कार कहता है!!
अब बच्चे भी बड़ों का अदब भूल बैठे हैं, तू इस नये दौर को संस्कार कहता है !!-
बहुत मुश्किल है
अब बेटों को भी सुरक्षित रख पाना,
खतरे से खाली नहीं है
अब बहुओं को घर ले आना..
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जोड़ियां ऊपर वाला नहीं बनाता ,
परफेक्ट जोड़ी सिर्फ जूते की होती है
बाकी सब मोहमाया है !!
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बिस्तर पर आयी लेडीज
इस बात कि गवाह नहीं हैं !
कि हमने उसे पटा लिया !
उसने तुमपे खुद से ज़्यादा भरोसा किया ,
यह इस बात कि प्रमाण है !!
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एक लोटा जल और मन में हजारों छल ,
तो कैसे होगा हर समस्या का हल !
जो बोओगे, वही तो पाओगे फल ,
भले ही रोज चढ़ाओ जल !!
@अंधविश्वासी_दुनियां
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एक @Ghibli जैसे मामूली ऐप में इतनी क्षमता है
जिसने पूरे इंसान समाज को कार्टून बना कर
ये साबित कर दिया की, इंसान सबसे बुद्धजीवी नही
मुर्खजीवी प्राणी है जो खुद ही खुद को इंसान से
कार्टून बना कर खुश हो रहा है..!
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