फ़ितूर ☕   (©मनु सिंह)
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Joined 2 November 2021


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3 JAN 2022 AT 10:52

पथिक!
तुम अपना संघर्ष लिखना!
लिखते रहे जीत की कविताएं...
अब हार के किस्से लिखना!!
क्योंकि कई बार
जीत नहीं की कविताएं नहीं,
हार के किस्से देते हैं हौसला
तुम नई शुरुआत करना...
पथिक!
तुम जीत का हर्ष नहीं,
हार से संघर्ष लिखना...!

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28 DEC 2021 AT 20:35

बेचैन से हो गए थे.. उसको जाते देखकर...
जाने वाला.. मेरा कुछ तो साथ लेकर गया था।।

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24 DEC 2021 AT 21:49

कोई उम्मीद बंधने लगे तो खुद ही तोड़ देती हूँ,
खुद को इतना दुःख सहते अब देखा नहीं जाता।।

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20 DEC 2021 AT 21:52


रूठी है किसी आँखों से नींद मुद्दतों बाद,
बढ़ी है तन्हाइयों की उम्मीद मुद्दतों बाद॥

किसी के लिए लंबी हुई ना-आसूदा रातें,
किसीकी हुई हैं रातें उनींद मुद्दतों बाद॥

खुशियाँ भी हैं गम-ओ-अलम की जानिब,
हुई है सोज़िश-ए-तफ़्सील मुद्दतों बाद॥

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19 DEC 2021 AT 19:26

मंज़िलें मिलीं तो पता चला...
सफ़र दिल के ज़्यादा क़रीब रहा!!

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16 DEC 2021 AT 19:35

उतारने को तो नदियाँ, पहाड़, समंदर सब उतार दूँ स्याही से,
पर क्यूँ मेरा दुःख उतारा नहीं जाता मुझसे कागज़ पर?

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13 DEC 2021 AT 19:58

you are bitter to yourself
than others..

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11 DEC 2021 AT 17:46

होगा एक खुला आसमां,
जहाँ मिलती होगी धरा अम्बर से
कहीं दूर क्षितिज पर...
बिना किसी रोक-टोक के...
बस कल्पनायें हैं ऐसी,
ज़रूर कुछ खूबसूरत होगा...
दीवार के उस पार...!

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7 DEC 2021 AT 22:24

ख़्वाहिशों के ढेर
हर रोज़...
श्मशान बने जाते हैं,
ख़ामोश रहकर भी कुछ
क़िरदारों में
दाग़ लग जाते हैं...!

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6 DEC 2021 AT 20:18

अपने वादों को कुछ यूँ बरकरार रख जाते हैं,
कुछ हमसफ़र झुर्रियों के बाद भी साथ रह जाते हैं।

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