पथिक!
तुम अपना संघर्ष लिखना!
लिखते रहे जीत की कविताएं...
अब हार के किस्से लिखना!!
क्योंकि कई बार
जीत नहीं की कविताएं नहीं,
हार के किस्से देते हैं हौसला
तुम नई शुरुआत करना...
पथिक!
तुम जीत का हर्ष नहीं,
हार से संघर्ष लिखना...!
-
🎂 25th December
ले देके अपने पास एक नज़र तो है...
क्यूँ देखें ज़िन्द... read more
बेचैन से हो गए थे.. उसको जाते देखकर...
जाने वाला.. मेरा कुछ तो साथ लेकर गया था।।-
कोई उम्मीद बंधने लगे तो खुद ही तोड़ देती हूँ,
खुद को इतना दुःख सहते अब देखा नहीं जाता।।-
रूठी है किसी आँखों से नींद मुद्दतों बाद,
बढ़ी है तन्हाइयों की उम्मीद मुद्दतों बाद॥
किसी के लिए लंबी हुई ना-आसूदा रातें,
किसीकी हुई हैं रातें उनींद मुद्दतों बाद॥
खुशियाँ भी हैं गम-ओ-अलम की जानिब,
हुई है सोज़िश-ए-तफ़्सील मुद्दतों बाद॥-
उतारने को तो नदियाँ, पहाड़, समंदर सब उतार दूँ स्याही से,
पर क्यूँ मेरा दुःख उतारा नहीं जाता मुझसे कागज़ पर?-
होगा एक खुला आसमां,
जहाँ मिलती होगी धरा अम्बर से
कहीं दूर क्षितिज पर...
बिना किसी रोक-टोक के...
बस कल्पनायें हैं ऐसी,
ज़रूर कुछ खूबसूरत होगा...
दीवार के उस पार...!-
ख़्वाहिशों के ढेर
हर रोज़...
श्मशान बने जाते हैं,
ख़ामोश रहकर भी कुछ
क़िरदारों में
दाग़ लग जाते हैं...!
-
अपने वादों को कुछ यूँ बरकरार रख जाते हैं,
कुछ हमसफ़र झुर्रियों के बाद भी साथ रह जाते हैं।-