Firdos Khan   (Eak Aazad Ruh Firdos)
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Joined 26 October 2018


Joined 26 October 2018
25 NOV 2022 AT 0:32

शीर्षक बदल देने से
कहानी नही बदलती।
कहानियां जिंदा रहती है,
लोगों के जहन में
अरसे तक।

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24 NOV 2022 AT 1:20

दरारे अक्सर दायरो की
वजह होते है।
दरारे भर देने से
निशा मिटते नही है
दायरो के निशा
और भी
गहरे हो जाते है।

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27 OCT 2022 AT 20:28

वक्त तुम्हारा था तो
सब ठीक था।
तुम्हारा सुख औऱ दुःख
मेरे ही थे।
मेरे पहेलु में रहना
तुम्हे पसंद था।
जब भी मुझे तुम्हारी
जरूरत रही,तुम
हर बार खुदगर्ज़ हो गए।

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21 OCT 2022 AT 10:38

क्या,
अबकी बार
तुम इंतजार करोगे मेरा?
मुझे ना अबकी बार
वापस लौटने मे
बहोत वक्त लगेगा।
मेरे आत्मसम्मान ने
रोक रखा है मुझे ।
अबकी बार।

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21 OCT 2022 AT 10:05

इस सफर ए-जिंदगानी में
कितने ही 'शहर'क्यो ना
बदल दे हम,
इस "फिरदोस"की
रूह तो,
दोस्तो के उस महफ़िलो के
'शहर'मे ही रहेगी।

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19 OCT 2022 AT 10:14

Your karma is behind you,
wait,
they will be with you
again soon.

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13 OCT 2022 AT 16:57

पड़ोसी :-हमारी घर की औरतें मर्दो से
बहोत डरती है।😲
मै :- अच्छा 🤔
पड़ोसी :- कुछ भी हो जाए उफ्फ भी
नही करती😐
मैं:-अच्छा।।।।🤔
पड़ोसी :-हम्म्म्म फिर😡
मै :- क्यो, सम्मान करती है
इसलिए डरती है?
या फिर कुछ और बात है?🤔🤔🤔🤔

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13 OCT 2022 AT 0:57

मै पैदायशी हीरो हु,
मै तलवार से नही
महान विचारो से
और ,
अपनी कलम से लड़ती हु
मुझे जरूरत नही है।
तलवारे और युद्ध के मैदान की
मेरी किविताए ही काफी है।
जो इश्क हो या जंग दोनों
में जायज है।

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7 OCT 2022 AT 10:27

कुछ महफिले, कुछ लोग
कुछ जाने अनजाने
नामो के जिक्र के बिना
अधूरे होते है।
जैसे तुम.....😊

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2 OCT 2022 AT 1:03

नकाब पोशों की बस्ती में
बे नकाब घूमते है हम।😎
अंधविश्वासियो के शहर में
विश्वास ढूंढ रहे है हम।😌
पता नहीं कहा है 'फिरदोस'?
उस मशाल को फिर से
जलाने को छोटे से👌
हौसले की चिंगारी खोज रहे हम।
एक बार फिर से अपनी ,
आजादी ढूंढ रहे है हम।😊

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