शीर्षक बदल देने से
कहानी नही बदलती।
कहानियां जिंदा रहती है,
लोगों के जहन में
अरसे तक।-
दरारे अक्सर दायरो की
वजह होते है।
दरारे भर देने से
निशा मिटते नही है
दायरो के निशा
और भी
गहरे हो जाते है।-
वक्त तुम्हारा था तो
सब ठीक था।
तुम्हारा सुख औऱ दुःख
मेरे ही थे।
मेरे पहेलु में रहना
तुम्हे पसंद था।
जब भी मुझे तुम्हारी
जरूरत रही,तुम
हर बार खुदगर्ज़ हो गए।
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क्या,
अबकी बार
तुम इंतजार करोगे मेरा?
मुझे ना अबकी बार
वापस लौटने मे
बहोत वक्त लगेगा।
मेरे आत्मसम्मान ने
रोक रखा है मुझे ।
अबकी बार।
-
इस सफर ए-जिंदगानी में
कितने ही 'शहर'क्यो ना
बदल दे हम,
इस "फिरदोस"की
रूह तो,
दोस्तो के उस महफ़िलो के
'शहर'मे ही रहेगी।
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Your karma is behind you,
wait,
they will be with you
again soon.-
पड़ोसी :-हमारी घर की औरतें मर्दो से
बहोत डरती है।😲
मै :- अच्छा 🤔
पड़ोसी :- कुछ भी हो जाए उफ्फ भी
नही करती😐
मैं:-अच्छा।।।।🤔
पड़ोसी :-हम्म्म्म फिर😡
मै :- क्यो, सम्मान करती है
इसलिए डरती है?
या फिर कुछ और बात है?🤔🤔🤔🤔-
मै पैदायशी हीरो हु,
मै तलवार से नही
महान विचारो से
और ,
अपनी कलम से लड़ती हु
मुझे जरूरत नही है।
तलवारे और युद्ध के मैदान की
मेरी किविताए ही काफी है।
जो इश्क हो या जंग दोनों
में जायज है।-
कुछ महफिले, कुछ लोग
कुछ जाने अनजाने
नामो के जिक्र के बिना
अधूरे होते है।
जैसे तुम.....😊-
नकाब पोशों की बस्ती में
बे नकाब घूमते है हम।😎
अंधविश्वासियो के शहर में
विश्वास ढूंढ रहे है हम।😌
पता नहीं कहा है 'फिरदोस'?
उस मशाल को फिर से
जलाने को छोटे से👌
हौसले की चिंगारी खोज रहे हम।
एक बार फिर से अपनी ,
आजादी ढूंढ रहे है हम।😊-