कैसे नहीं पढ़ पाया तू मेरे आंखों को?
तुम अनपढ़ भी तो ना थे....??
क्यूं समझे नहीं मेरे जज्बातों को?
तुम ना-समझ भी तो ना थे....??-
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कैसे नहीं पढ़ पाया तू मेरे आंखों को?
तुम अनपढ़ भी तो ना थे....??
क्यूं समझे नहीं मेरे जज्बातों को?
तुम ना-समझ भी तो ना थे....??-
लौट रही हु तेरे शहर से खाली हाथ मैं,
पाया तो नही मगर खोया बहुत हैं........
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फुलों से खेलने के उम्र में कांटो से खेल रहें हैं..
अपने भी अब गद्दारों के लिस्ट में जो आ रहें हैं।।-
अबतक की जिन्दगी में ,कई रास्तें अकेले ही तय किया हैं ।
मुझे अकेलेपन से डर नहीं लगता🙂-
और फिर ,दोंनो अपनी मर्जी चलाने लगें
रांहों में एक दो कदम आगे बढ़ गए
दुसरा दो कदम पीछें छुट गया।।-
यूं तो हार जाता हैं अक्सर दिमाग दिल के आगे......
मगर इतना बैबस मत कर के दिल हार जाए और
पलटकर तुम्हें देखना भी मंजूर ना हों🙂💔-
चांदनी रातों में भी अंधेरा छायां हुआ हैं
जिन्दगी कुछ ऐसी रास्तों से गुजर रहा हैं ।।-
हर कोई उम्मिदें टोड़ जातें हैं ।
जिसकों अपना मानती हूं,
वही छोड़ जातें हैं ।
लोगों ने कहां मुझमें खामियां हैं,
एक बार के लिए मान भी लें मगर,,,,
एक हाथ से ताली कहां बजती हैं...???-
मेरे आंगन का चांद
बादलों के पीछे ना चुपे .....
मैं कभी थक जाऊं चलते-चलते तो
मेरा चांद मुझे हमेशा हिम्मत दें ......।।-