नदी और जीवन
नदियों से पूछू या झरनों से पूछू
ये बहती क्यों सदियों से किससे मैं पूछू
ये पहाड़ो से निकलकर बनाती मैदान क्यों
ये मैदानों से पूछू या पहाड़ों से पूछू
ये बहती है कल कल चाहे बरसा हो बादल
क्यों ठहरती नही एक पल बस बहती है क्यों
क्या बहना ही है जीवन रुकना ही है मरण
फिर समंदर मे ये समाजाती है क्यों
ये समंदर से पूछू या नदियों से पूछू
ये ऐसे ही जीवन गीत गाती है क्यों..?!!
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