जब रावण का वध हो सकता है तब
गंदी सोच रखने वालों के,
सबका बुरा सोचने वालों के,
बड़ों का अपमान करने वालों के
गुणों का वध क्यों नहीं हो सकता?
जब रावण का वध हो सकता है तब
लड़कियों का बलात्कार करने वाले,
बच्चों पे अत्याचार करने वाले,
बूढ़े माँ-बाप को अकेला छोड़ देने वाले,
इन सब के अस्वीकार्य कार्य का वध क्यों नहीं हो सकता?
जब रावण का वध हो सकता है तब
हिंदू-मुसलमान के नाम पर दहशत फैलाने वाले,
काले-गोरे में फर्क करने वाले,
लड़का-लड़की में भेद करने वाले,
इन सब की सोच का वध क्यों नहीं हो सकता?
आज हर कोई राम बनने की चाहत तो रखता है मगर,
अफ़सोस आज हर कोई रावण का चरित्र अपनाता है,
जब रावण के पुतले को जलाकर रीति-रिवाज़ पूरे किए जा सकते हैं तब,
मन के भीतर के रावण का वध क्यों नहीं हो सकता?
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