Fãrhãñ Ťûřkî   (farhaan_wri8s)
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Joined 13 June 2020


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Joined 13 June 2020
9 JUL 2020 AT 20:57

सुना है कि तुम्हे दर्द का एहसास नहीं होता ।

तो आओ तुम्हे शहर ऐ फिलिस्तीन ले चालु ।

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13 OCT 2021 AT 11:42

‏Zamana aaj nahin dagmaga ke chalne ka

‏Sambhal bhi ja ke abhi waqt hai sambhalne ka

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9 OCT 2021 AT 19:37

गुरूर आंखों पर परदा डाल देता है,

फ़िर ना अच्छा दिखाई देता है ना बुरा !!

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8 OCT 2021 AT 19:00

जैसे ही शाम की चाय होठो से लगती है

भाड मे जाए बाकी सब ,खुशी मिलती है ।।

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7 OCT 2021 AT 22:46

dilon mein aag labo’n par gulaab rakhte hain,

sab apne chehro’n pe dohri naqaab rakhte hain!

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4 OCT 2021 AT 18:35

ये दुनिया दो रंगी है.

एक तरफ से रेशम ओढ़े, एक तरफ से नंगी है..!

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4 OCT 2021 AT 18:31

कौन समझे ,किसको समझाऊँ

जब लफ्ज जुबाँ तक ना आए ।।

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3 OCT 2021 AT 11:51

दिन में लोगों से हारने से अच्छा है,

रातों में किताबों से लड़ लो..!!!

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3 OCT 2021 AT 11:47

कश्तियाँ ही क्यूँ दाव पे लगे,

दरिया को भी डूबना चाहिए..!

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29 SEP 2021 AT 23:16

तमाम उम्र छलनीयों में पानी भरते भरते,

मैं थक गया हूँ, खुद से धोखा करते करते..!

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