मेरी आंखो में हैं हया की चादर,
तुम पर लाज़िम नही पर्दा करना-
꧁༺ 𝓪 𝓫𝓸𝔂 𝔀𝓲𝓽𝓱𝓸𝓾𝓽 ꫝꫀꪖ᥅ꪻ 𝔀𝓱𝓸 𝔀𝓪𝓷𝓽𝓼 𝓽𝓸 𝓯... read more
हम तो कातिल हैं उसके जद में आ बसे हैं,
वो तो दरिया हैं उसका काम हैं बहना....-
अब जो आ लगे हैं दामन पर छींटे कई,
एक एक करके सब मिटाऊंगा,
तुम भी पाक नहीं ज़रा गौर तो करो,
हों ना हों सोच कर ही शर्म आएगा,
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शहर खा गई हैं पहले कई रिश्ते पुराने,
अब कोई गांव से जाए तो डर लगता हैं,
❤️ 😢-
इससे पहले की आ मिले मौत मूझसे,
आ बैठ और इस्तेखारा कर ले .......
मैं तो दरिया हूं मुझे जा मिलना हैं,
अभी वक्त हैं तू किनारा कर ले ...-
आखिर में अक्सर दुनिया बुरी लगने लगती हैं,
ये सब लोग मेरे जेहन से आ उलझते ही क्यू हैं।-
राह से हटती नही हैं निगाहें कई,
कई शख्स हैं जो अब भी नही आए,
यू नही विरान लगेगा ईद भी,
हद है! मां रोए और रौनक आए,
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शहर से आते लोगों से पूछती हैं अपनी गलियां,
तो बताओ! क्या सिला मिला हैं मुझसे बेवफाई का,
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अब तो जैसे नफ़रत सी हैं बाजारों से बहुत,
बाप को क्यू अपने ही बच्चों से डर लगता हैं,
यतीम बच्चों को भी देखना हैं मंजर सारा,
कैसे बाजारों में दौलत का सजर लगता हैं,
मैंने देखा हैं आंखों में जलालत बहुत,
कैसे अपने ही जेबों से डर लगता हैं,
हम तो बच्चों को पढ़ाते है सब्र का दर्श,
हां लेकिन दुनिया की किताबों से डर लगता हैं।
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