Faraz Anwer   (𝐕𝐨𝐢𝐜𝐞 𝐨𝐟 𝐬𝐨𝐮𝐥)
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Joined 4 January 2020


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Joined 4 January 2020
21 JUL 2023 AT 23:59

मेरी आंखो में हैं हया की चादर,
तुम पर लाज़िम नही पर्दा करना

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15 JUL 2023 AT 0:45

हम तो कातिल हैं उसके जद में आ बसे हैं,
वो तो दरिया हैं उसका काम हैं बहना....

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24 MAY 2023 AT 15:14

अब जो आ लगे हैं दामन पर छींटे कई,
एक एक करके सब मिटाऊंगा,
तुम भी पाक नहीं ज़रा गौर तो करो,
हों ना हों सोच कर ही शर्म आएगा,

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17 MAY 2023 AT 18:26

शहर खा गई हैं पहले कई रिश्ते पुराने,
अब कोई गांव से जाए तो डर लगता हैं,
❤️ 😢

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4 MAY 2023 AT 20:51

इससे पहले की आ मिले मौत मूझसे,
आ बैठ और इस्तेखारा कर ले .......
मैं तो दरिया हूं मुझे जा मिलना हैं,
अभी वक्त हैं तू किनारा कर ले ...

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21 APR 2023 AT 23:15

आखिर में अक्सर दुनिया बुरी लगने लगती हैं,
ये सब लोग मेरे जेहन से आ उलझते ही क्यू हैं।

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20 APR 2023 AT 23:01

राह से हटती नही हैं निगाहें कई,
कई शख्स हैं जो अब भी नही आए,

यू नही विरान लगेगा ईद भी,
हद है! मां रोए और रौनक आए,

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20 APR 2023 AT 22:37

शहर से आते लोगों से पूछती हैं अपनी गलियां,
तो बताओ! क्या सिला मिला हैं मुझसे बेवफाई का,

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12 APR 2023 AT 22:46

खुद को करके रिहा कैद से तुम,
किसके पैर में जंजीर बांध गए हो।

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8 APR 2023 AT 21:22

अब तो जैसे नफ़रत सी हैं बाजारों से बहुत,
बाप को क्यू अपने ही बच्चों से डर लगता हैं,

यतीम बच्चों को भी देखना हैं मंजर सारा,
कैसे बाजारों में दौलत का सजर लगता हैं,

मैंने देखा हैं आंखों में जलालत बहुत,
कैसे अपने ही जेबों से डर लगता हैं,

हम तो बच्चों को पढ़ाते है सब्र का दर्श,
हां लेकिन दुनिया की किताबों से डर लगता हैं।

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